🕒 Published 8 hours ago (10:39 AM)
नई दिल्ली, 4 अगस्त 2025:शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने हाल ही में एक विवादास्पद लेकिन गौरवशाली बयान देकर राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के समय गाय को भी अंदर ले जाना चाहिए था, ना कि केवल उसकी मूर्ति।
संसद भवन में गाय की प्रतिमा, लेकिन ज़िंदा गाय क्यों नहीं?
शंकराचार्य ने सवाल उठाते हुए कहा, “जब नए संसद भवन में सेंगोल के माध्यम से गाय की छवि स्थापित की जा सकती है, तो फिर एक जीवित गाय को क्यों नहीं प्रवेश दिया जा सकता?” उन्होंने यह भी कहा कि अगर गाय के सम्मान में देरी की गई, तो वे “पूरे देश से गायें लाकर संसद के सामने बैठा देंगे।”
गौ सम्मान के लिए बनाए जाएं सख्त प्रोटोकॉल
शंकराचार्य ने महाराष्ट्र सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि गौ सम्मान के लिए एक स्पष्ट प्रोटोकॉल तैयार किया जाए। उन्होंने पूछा कि गाय का सम्मान कैसे होगा? इसका स्वरूप क्या होगा? यदि इसका उल्लंघन होता है तो सज़ा क्या होगी? उन्होंने मांग की कि यह सब तय होना चाहिए ताकि गौ सेवा और संरक्षण को कानूनी रूप से मजबूती मिल सके।
हर विधानसभा क्षेत्र में बनें ‘रामधाम’, हों 100 गायों की गौशालाएं
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने देश के हर विधानसभा क्षेत्र में एक रामधाम स्थापित करने की मांग की, जिसमें कम से कम 100 गायों की देखभाल की व्यवस्था हो। उन्होंने कहा कि देशभर में 4123 रामधाम बनाए जाने चाहिए, जहां गौसेवा, संरक्षण और देशी नस्लों के प्रचार-प्रसार पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि जो व्यक्ति 100 गायों की सेवा करेगा, उसे प्रति माह 2 लाख रुपये का आर्थिक सम्मान दिया जाना चाहिए। इससे ना केवल गौ सेवा को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार भी सृजित होंगे।
गाय को मिले ‘राष्ट्रमाता’ का दर्जा
धर्म संसद की एक बैठक में शंकराचार्य ने होशंगाबाद से भाजपा सांसद दर्शन सिंह चौधरी के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित कराया, जिसमें गाय को “राष्ट्रमाता” घोषित करने की मांग की गई। उन्होंने यह भी कहा कि जनता को केवल उन्हीं जनप्रतिनिधियों को समर्थन देना चाहिए, जो गाय की रक्षा और उससे जुड़े कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध हों।
गौहत्या पर लगे पूर्ण प्रतिबंध
शंकराचार्य ने जोर देते हुए कहा कि भारत में गौहत्या पर पूरी तरह प्रतिबंध लगना चाहिए। यह केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और राष्ट्रहित से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने गाय को भारतीय संस्कृति की आत्मा बताते हुए, उसके संरक्षण को सबसे बड़ी प्राथमिकता देने की बात कही।