🕒 Published 7 hours ago (7:43 AM)
डेस्क। आज 4 अगस्त 2025 को सावन महीने का चौथा और अंतिम सोमवार है। यह दिन शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इसके बाद 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन श्रावण मास समाप्त हो जाएगा और भाद्रपद माह की शुरुआत होगी। सावन का महीना हिंदू पंचांग के अनुसार पंचम मास होता है और इसे भगवान शिव को समर्पित माना गया है। धर्मग्रंथों जैसे स्कंद पुराण, लिंग पुराण और शिव पुराण में इस माह की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है।
क्यों होता है सावन सोमवार का विशेष महत्व?
सावन का हर सोमवार शिव आराधना के लिए अत्यंत पावन माना गया है। अविवाहित युवक-युवतियां इस दिन व्रत रखकर शिवजी से अच्छे जीवनसाथी की कामना करते हैं। वहीं, विवाहित महिलाएं अपने परिवार की सुख-शांति और पति की लंबी उम्र के लिए इस व्रत का पालन करती हैं। ऐसा विश्वास है कि इस दिन सच्चे मन से किए गए पूजन से शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को मनचाहा फल प्रदान करते हैं।
पूजन विधि – कैसे करें शिवजी की पूजा?
आज के दिन शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भस्म चढ़ाना विशेष फलदायी होता है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र धारण कर शिव मंदिर जाएं या घर में ही शिवलिंग का अभिषेक करें। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और “महामृत्युंजय मंत्र” का कम से कम 108 बार उच्चारण करें। व्रत करने वाले व्यक्ति दिन भर फलाहार करें और संध्या के समय शिव आरती जरूर करें।
सावन के अंतिम सोमवार का महत्व
यह अंतिम सोमवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूरे माह की तपस्या का अंतिम चरण होता है। जो श्रद्धालु पूरे सावन व्रत नहीं कर पाए, वे कम से कम आज के दिन शिव पूजन कर महादेव की कृपा पा सकते हैं। यह दिन जीवन में नई शुरुआत, मानसिक शांति और पारिवारिक खुशहाली का द्वार खोल सकता है।
सावन अंतिम सोमवार 2025 मुहूर्त
सावन के अंतिम सोमवार को सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म योग और इंद्र योग बन रहा है. ऐसे में आप इस दिन किसी भी समय महादेव को जल चढ़ा सकते हैं. लेकिन ब्रह्म मुहूर्त पूजा और जलाभिषेक के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. सावन के चौथा सोमवार को जलाभिषेक का ब्रह्म मुहूर्त – 4 अगस्त को सुबह 4:20 बजे से लेकर सुबह 5:20 तक रहेगा. इस दौरान आप शिवजी की पूजा और उनका अभिषेक कर सकते हैं.
सावन सोमवार को शिव जी की पूजा कैसे करें?
1. स्नान और तैयारी
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें.
घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल छिड़कें.
भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें.
2. संकल्प
हाथ में जल लेकर भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लें.
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और भगवान से प्रार्थना करें.
3. पंचामृत अभिषेक
शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से अभिषेक करें.
इसके बाद भगवान शिव को गंगाजल से स्नान कराएं.
4. शिवलिंग पर वस्तुएं अर्पित करें
शिवलिंग पर बेल पत्र, धतूरा, भांग, आक का फूल, सफेद फूल, चंदन, अक्षत अर्पित करें.
शिवलिंग पर फल, मिठाई और अन्य प्रसाद चढ़ाएं.
5. मंत्र जाप और आरती
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें.
फिर महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करें.
शिव चालीसा का पाठ करें.
भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें.
6. व्रत कथा
सावन सोमवार की व्रत कथा सुनें या पढ़ें.
7. प्रसाद बांटें
भगवान को अर्पित किए गए प्रसाद को परिवार और भक्तों में बांटें.
8. फलाहार
दिन भर उपवास रखें और शाम को फलाहार करें.
9. चंद्रमा को अर्घ्य
शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें.
10. पारण
अगले दिन ब्राह्मण या गरीबों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें.
सावन के चौथे सोमवार को शिवलिंग पर क्या चढ़ाएं?
सावन का चौथा सोमवार भगवान शिव की पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इस दिन शिवलिंग पर आप जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र और सफेद फूल चढ़ा सकते हैं. इसके अलावा, आप शिवलिंग पर इत्र भी चढ़ा सकते हैं.
सोमवार को शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?
सावन सोमवार को शिवलिंग पर तुलसी, सिंदूर, केतकी के फूल, और हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए. इसके अलावा, शंख से जल और टूटे हुए चावल भी नहीं चढ़ाने चाहिए.
सावन के सोमवार की पूजा के लिए क्या सामग्री चाहिए?
सावन सोमवार पूजा के लिए आपको गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, चंदन, भस्म, बेलपत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, सफेद फूल, धूप, दीपक, कपूर, रुद्राक्ष की माला, फल, मिठाई, अक्षत, शिवलिंग या शिव परिवार की तस्वीर, घंटी, पानी, और पूजा आसन की जरूरत होगी.
सावन के सोमवार का व्रत कैसे खोलें?
सावन सोमवार का व्रत खोलने के लिए शाम को पूजा करने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें. इसके बाद, फलाहार या सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए. अगले दिन सूर्योदय के बाद भगवान शिव की पूजा करके अन्न ग्रहण करके व्रत का पारण करना चाहिए.