राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी रिपोर्ट को लेकर हंगामा, खड़गे ने बताया ‘असंवैधानिक’

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By Ankit Kumar

🕒 Published 6 months ago (7:54 AM)

जैसे ही गुरुवार को संसद की कार्यवाही शुरू हुई, वक्फ संशोधन बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को लेकर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई, जबकि राज्यसभा में कुछ समय के लिए स्थगन के बाद कार्यवाही फिर से शुरू हुई। विपक्षी दलों ने रिपोर्ट में असहमति नोट (डिसेंट नोट) को शामिल न करने पर जोरदार विरोध दर्ज कराया। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे “फर्जी रिपोर्ट” करार देते हुए इसे मानने से इनकार कर दिया।

विपक्ष का जोरदार हंगामा

राज्यसभा में वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी रिपोर्ट पेश होते ही विपक्षी दलों के सांसदों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। रिपोर्ट में विपक्ष के सदस्यों द्वारा दर्ज कराए गए असहमति नोट को शामिल न करने पर नाराजगी जताई गई। सभापति जगदीप धनखड़ ने हंगामे को शांत करने की कोशिश की, लेकिन विपक्षी सांसद नहीं माने। सदन की कार्यवाही को पहले 11:20 बजे तक स्थगित किया गया, लेकिन दोबारा शुरू होते ही फिर से हंगामा शुरू हो गया।

जेपी नड्डा ने विपक्ष के रवैये को गैर-जिम्मेदाराना बताया

इस मुद्दे पर बोलते हुए राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा ने विपक्षी सांसदों के रवैये की निंदा की। उन्होंने कहा कि संसदीय प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए और संवैधानिक दायरे में रहकर लोकतांत्रिक तरीके से सदन की कार्यवाही चलनी चाहिए। उन्होंने विपक्ष के हंगामे को “गैर-जिम्मेदाराना” बताते हुए कहा कि विपक्ष का यह रवैया निंदनीय है।

सभापति और खड़गे के बीच तीखी बहस

सभा के दौरान जब मल्लिकार्जुन खड़गे बोलने के लिए खड़े हुए, तो विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी जारी रही। इस पर सभापति धनखड़ ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “आपको गुस्सा नहीं आना चाहिए, आपको गुस्सा आएगा तो मुझे परेशानी होगी।” इस पर खड़गे ने कहा कि यह केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरे विपक्ष की चिंता का विषय है।

 

खड़गे का आरोप: डिसेंट नोट हटाना लोकतंत्र विरोधी

खड़गे ने जेपीसी रिपोर्ट से विपक्षी सदस्यों के असहमति नोट (डिसेंट नोट) को हटाने और बाहरी लोगों की राय को शामिल करने पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह संसदीय प्रक्रियाओं के खिलाफ है और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब विपक्ष के कई सांसदों ने डिसेंट नोट दिया था, तो उसे रिपोर्ट में क्यों शामिल नहीं किया गया?

‘फर्जी रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करेंगे’ – खड़गे

खड़गे ने आगे कहा कि इस रिपोर्ट में नॉन-स्टेकहोल्डर्स (जिनका इस बिल से कोई सीधा संबंध नहीं) की राय को शामिल किया गया है, जबकि विपक्ष के असहमति नोट को हटा दिया गया है। उन्होंने इसे “फर्जी रिपोर्ट” करार देते हुए कहा कि विपक्ष इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करना चाहिए और सभी मतों को रिपोर्ट में स्थान देना चाहिए।

जेपीसी रिपोर्ट को फिर से पेश करने की मांग

खड़गे ने जेपीसी रिपोर्ट को असहमति नोट के साथ फिर से पेश करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब संसदीय प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता, तो ऐसी रिपोर्ट सदन का हिस्सा नहीं बन सकती। उन्होंने सभापति धनखड़ से अनुरोध किया कि इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया जाए और इसे डिसेंट नोट के साथ दोबारा प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी कई मामलों में गवर्नर और उच्च पदस्थ अधिकारियों ने ऐसी रिपोर्ट्स को खारिज किया है, इसलिए इस रिपोर्ट को भी दोबारा संशोधित कर पेश किया जाना चाहिए।

वक्फ संशोधन बिल पर जेपीसी की रिपोर्ट को लेकर संसद में मचे हंगामे ने विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच गहरी खाई को उजागर कर दिया है। विपक्ष का दावा है कि सरकार उनकी असहमति को दरकिनार कर रही है, जबकि सत्ता पक्ष इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा बता रहा है। यह विवाद आगे कितना बढ़ेगा और इसका राजनीतिक असर क्या होगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।

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