जल जीवन मिशन योजना से जुड़ा दर्दनाक मामला: पैसे नहीं मिलने पर ठेकेदार ने की आत्महत्या, भाई का सरकार पर गंभीर आरोप

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By Hindustan Uday

🕒 Published 1 week ago (9:30 PM)

सांगली, महाराष्ट्र: महाराष्ट्र के सांगली जिले के वालवा तालुका के तंदूरवाड़ी गांव में जल जीवन मिशन योजना से जुड़ा एक बेहद दुखद और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां 35 वर्षीय ठेकेदार हर्षल पाटिल ने पैसे न मिलने के चलते आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि उन्होंने जल जीवन मिशन का काम एक साल पहले पूरा कर लिया था, लेकिन सरकार से उन्हें 1.4 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं मिला, जिससे परेशान होकर उन्होंने जान दे दी।

भाई ने लगाए सरकार पर गंभीर आरोप

मृतक के भाई अजित पाटिल ने मीडिया से बात करते हुए कहा,

“यह बेहद दुखद घटना है। सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। हर्षल ने ठेकेदारी करते हुए कई बार सरकार के अधीन जल जीवन मिशन का काम किया था। पिछले डेढ़ साल से उसका करीब 1 करोड़ 40 लाख रुपये सरकार के पास लंबित था।”

उन्होंने बताया कि हर्षल को यह भुगतान मुख्य कांट्रेक्टर के जरिए मिलना था, लेकिन मुख्य ठेकेदार को भी भुगतान नहीं मिला था, जिसकी वजह से हर्षल को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।

बैंक और निजी कर्ज के बोझ में दबे थे हर्षल

परिवार ने बताया कि पैसे न मिलने की वजह से हर्षल ने कई बैंकों और निजी व्यक्तियों से कर्ज़ लिया था। वह उन कर्जों को चुका नहीं पा रहे थे और मानसिक तनाव में थे। अंततः इस आर्थिक दबाव में उन्होंने आत्महत्या कर ली।

दस साल से ठेकेदारी कर रहे थे हर्षल

अजित पाटिल ने बताया कि हर्षल पिछले 10 वर्षों से ठेकेदारी कर रहे थे और 2020 से जल जीवन मिशन योजना के तहत “हर घर जल” योजना में उप-ठेकेदार के तौर पर कार्यरत थे। सरकार की योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर सफलतापूर्वक लागू करने के बावजूद उन्हें मेहनताना नहीं मिला, जिससे यह त्रासदी हुई।

पुलिस जांच जारी

कुराल पुलिस स्टेशन के सहायक पुलिस निरीक्षक विक्रम पाटिल ने कहा कि आत्महत्या के कारणों की जांच जारी है, और फिलहाल कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकाला गया है।

बड़ा सवाल: क्या सरकार के पास भुगतान के लिए पैसे नहीं हैं?

यह अकेला मामला नहीं है। हाल ही में रिपोर्ट आई थी कि महाराष्ट्र सरकार पर करीब 90,000 करोड़ रुपये के ठेकेदारों के बिल बकाया हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या सरकार की माली हालत इतनी खराब है कि वह ठेकेदारों को भुगतान नहीं कर पा रही?

क्या यह आत्महत्या नहीं बल्कि सिस्टम की विफलता है?
हर्षल पाटिल की आत्महत्या ने सरकारी तंत्र की कार्यशैली और देरी से होने वाले भुगतान की कड़वी सच्चाई को उजागर कर दिया है। यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की आत्महत्या नहीं, बल्कि सरकार की जवाबदेही पर बड़ा सवाल है।

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