सुप्रीम कोर्ट का ईडी को झटका, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच पर अंतरिम रोक

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By Sunita Singh

🕒 Published 3 weeks ago (11:49 AM)

नई दिल्ली  22 मई 2025 देश की सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में  कथित ₹1,000 करोड़ के शराब घोटाले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ED) को एक बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के इस मामले में ईडी की जांच पर अंतरिम रोक तो लगाई ही साथ में कड़ी फटकार भी लगाई। अदालत ने कहा कि ईडी की कार्यशैली न सिर्फ कानूनी दायरे से बाहर है, बल्कि यह भारत के संघीय ढांचे की आत्मा पर भी आघात करती है। सुप्रीम कोर्ट के इस अंतरिम आदेश से ईडी की कार्रवाई पर फिलहाल रोक लग गई है । कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार और ईडी से जवाब तलब किया है।

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की खंडपीठ ने कहा, “ईडी संविधान का उल्लंघन कर रही है और सारी हदें पार कर चुकी है। आप व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन कंपनियों के खिलाफ नहीं? यह देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है।” यह मामला तमिलनाडु सरकार की उस याचिका से जुड़ा है जिसमें राज्य ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट  द्वारा उसकी याचिका को खारिज किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। राज्य ने आरोप लगाया था कि ईडी ने बिना आज्ञा राज्य की सीमा में घुसकर तलाशी अभियान चलाया, जो संघीय व्यवस्था का उल्लंघन है।

ईडी पर उठे गंभीर सवाल

तमिलनाडु सरकार ने आरोप लगाया कि ईडी ने न सिर्फ राज्य सरकार की सहमति के बिना छापेमारी की, बल्कि उसके अधिकारियों को परेशान भी किया। इस संबंध में TASMAC ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में का रुख किया और ईडी की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया था कि किसी ईडी को तलाशी से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेना तर्कहीन है। अदालत ने कहा, “यदि पहले अनुमति ली जाएगी तो किसी राज्य सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी में अचानक छापेमारी कैसे की जा सकेगी?” इसके साथ ही अदालत ने ईडी द्वारा मोबाइल फोन जब्त करने को भी जायज  ठहराया था। कोर्ट ने कहा था कि यह मनी लॉन्ड्रिंग की जांच का जरूरी  हिस्सा है।

ईडी की  20 ठिकानों पर छापेमारी

बता दें कि मार्च 2025 में ईडी ने चेन्नई सहित तमिलनाडु के कई शहरों में TASMAC के 20 ठिकानों पर छापेमारी की थी। यह कार्रवाई राज्य विजिलेंस विभाग द्वारा दर्ज की गई 40 से अधिक प्राथमिकी के आधार पर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी ने इसे “संविधान की जीत” बताया है। वहीं, केंद्र सरकार की ओर से इस मामले पर अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

एक बड़ी राहत और चेतावनी दोनों

संघीय ढांचे की रक्षा करना लोकतंत्र की आत्मा है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर यह संदेश दिया है कि केंद्रीय एजेंसियों को भी संविधान के दायरे में रहकर काम करना होगा। यह फैसला न सिर्फ कानूनविदों, बल्कि राज्यों के लिए भी एक बड़ी राहत और चेतावनी दोनों है।

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