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‘आपकी नाराजगी मेरे सर आंखों पर’ – वक्फ बिल पर चिराग पासवान की भावुक प्रतिक्रिया

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 हाल ही में भारतीय संसद में पारित किया गया, जिसने देशभर में व्यापक चर्चा और बहस को जन्म दिया है। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार और पारदर्शिता लाना है, लेकिन इसके विभिन्न प्रावधानों को लेकर राजनीतिक दलों और समुदायों के बीच मतभेद उभरकर सामने आए हैं। इस संदर्भ में, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इस विधेयक के समर्थन में अपनी पार्टी की स्थिति स्पष्ट की है।​

विधेयक का सारांश और उद्देश्य

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने और सरकारी निगरानी बढ़ाने के प्रावधान हैं। सरकार का दावा है कि इन संशोधनों से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार में कमी होगी। हालांकि, विपक्षी दलों और मुस्लिम संगठनों ने इन प्रावधानों का विरोध किया है, यह कहते हुए कि यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन करता है और धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करता है।

 

चिराग पासवान का समर्थन और तर्क

चिराग पासवान ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी ने सोच-समझकर इस विधेयक का समर्थन किया है। उनका मानना है कि यह विधेयक गरीब और पिछड़े वर्गों, विशेषकर मुस्लिम समुदाय के गरीब तबके के हित में है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने विधेयक पर विस्तार से चर्चा की और कई सुझाव दिए, जिन्हें समिति ने स्वीकार किया। पासवान ने विश्वास जताया कि यह कानून आने वाले समय में गरीब मुसलमानों के हक में साबित होगा।

विपक्ष की आलोचना और चिंताएँ

विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके और एनसीपी (एससीपी) ने इस विधेयक का विरोध किया है। उनका तर्क है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का हनन करता है और धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाता है। एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे मुस्लिम विरोधी करार देते हुए कहा कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है और इससे देश में विभाजन बढ़ेगा।

सरकार का पक्ष और उद्देश्य

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि यह सुधार कांग्रेस सरकार द्वारा स्थापित समितियों के सुझावों पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने वक्फ बोर्डों पर कब्जा कर लिया है, और यह विधेयक आम मुसलमानों को न्याय दिलाने के लिए लाया गया है।

विधेयक का संयुक्त संसदीय समिति को संदर्भित होना

विपक्ष के कड़े विरोध के बाद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने घोषणा की कि इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा जाएगा। यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि सभी पक्षों की चिंताओं का समाधान हो सके और विधेयक पर व्यापक चर्चा हो सके।

समाज में प्रतिक्रिया और संभावित प्रभाव

मुस्लिम संगठनों और समुदायों में इस विधेयक को लेकर चिंता है कि इससे उनकी संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ेगा और धार्मिक स्वतंत्रता प्रभावित होगी। वहीं, सरकार और समर्थक दलों का मानना है कि इससे वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन होगा और भ्रष्टाचार में कमी आएगी।​

निष्कर्ष

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर देश में गहन बहस चल रही है। चिराग पासवान जैसे नेताओं का समर्थन और विपक्ष की आलोचना इस बात को दर्शाती है कि यह मुद्दा कितना संवेदनशील है। आने वाले समय में, संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों और विधेयक के क्रियान्वयन से ही इसके वास्तविक प्रभाव का पता चलेगा।

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Ankit Kumar

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