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अफगान मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री पर रोक, देश में उठे सवाल

अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की भारत यात्रा के दौरान हुए एक आयोजन में महिला पत्रकारों को प्रवेश न दिए जाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस पर कई राजनीतिक नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

प्रियंका गांधी का प्रधानमंत्री से सवाल

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगा है। उन्होंने कहा कि भारत की सबसे काबिल महिला पत्रकारों को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से बाहर रखना न केवल अपमानजनक है, बल्कि देश की महिलाओं के सम्मान के खिलाफ भी है। प्रियंका ने सवाल किया कि ऐसी स्थिति को भारत में कैसे होने दिया गया?

भारत सरकार की प्रतिक्रिया

मामला बढ़ने पर विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि उक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। मंत्रालय ने कहा कि यह आयोजन अफगानिस्तान के दूतावास में हुआ था और पत्रकारों को बुलाने का काम अफगानी अधिकारियों द्वारा किया गया था। भारत सरकार ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन नहीं किया और न ही इसमें उनकी कोई संलिप्तता थी।

केवल पुरुष पत्रकारों को मिली अनुमति

बताया जा रहा है कि अफगानी दूतावास में हुई इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल चुनिंदा पुरुष पत्रकारों को ही आमंत्रित किया गया था। कई महिला पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर बताया कि उन्हें वहां प्रवेश नहीं करने दिया गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, अफगान मंत्री के साथ आए तालिबान अधिकारियों ने ही यह तय किया कि कौन-कौन प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हो सकेगा।

तालिबान की नीति का असर भारत में भी दिखा?

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से महिलाओं के अधिकारों में भारी कटौती हुई है। महिलाओं के स्कूल जाने, काम करने, सार्वजनिक रूप से बोलने और अन्य गतिविधियों में भाग लेने पर पाबंदियां लगाई गई हैं। अब सवाल उठ रहा है कि क्या ऐसी नीतियों का प्रभाव भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में भी स्वीकार्य होना चाहिए?

विपक्ष का केंद्र सरकार पर हमला

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री को घेरा। उन्होंने कहा कि जब सरकार महिला पत्रकारों को मंच से बाहर रहने देती है, तो वह यह संदेश देती है कि वह महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने में अक्षम है। उन्होंने इसे ‘नारी शक्ति’ के नारों के विपरीत बताया।

पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने भी घटना पर आश्चर्य जताया और कहा कि जब पुरुष पत्रकारों को पता चला कि उनकी महिला सहकर्मियों को बुलाया ही नहीं गया, तो उन्हें विरोध स्वरूप कार्यक्रम छोड़ देना चाहिए था।

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि एक विदेशी कट्टरपंथी हमारी धरती पर महिलाओं के खिलाफ ऐसा भेदभाव कैसे कर सकता है, जबकि देश के नागरिकों को खुद अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

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