🕒 Published 8 hours ago (5:31 PM)
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को कहा कि हम एक जटिल और अनिश्चित समय में जी रहे हैं, जहां वैश्विक स्तर पर एक निष्पक्ष और सभी को प्रतिनिधित्व देने वाली व्यवस्था की आवश्यकता है – न कि कुछ ताकतवर देशों के वर्चस्व वाली दुनिया की। वह बिम्सटेक (BIMSTEC) पारंपरिक संगीत महोत्सव ‘सप्तसुर’ के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। इस समारोह में बिम्सटेक के सदस्य देशों से कलाकार शामिल हुए हैं। जयशंकर ने कहा कि यह आयोजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में किए गए वादे के अनुरूप है।
सभी को समान अवसर मिलना चाहिए
बिम्सटेक (BIMSTEC), यानी बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल, एक क्षेत्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 1997 में बैंकॉक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर के साथ हुई थी। प्रारंभ में इसे ‘बिस्टेक’ कहा जाता था, जिसमें बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड सदस्य थे। बाद में इसमें म्यांमार (1997), भूटान और नेपाल (2004) भी शामिल हुए, जिससे सदस्य देशों की संख्या सात हो गई। विदेश मंत्री ने अपने संबोधन में कहा “आज की दुनिया में हमारी सामूहिक इच्छा एक ऐसी वैश्विक व्यवस्था की है जो निष्पक्ष हो, सभी को समान अवसर दे, और केवल कुछ देशों का प्रभुत्व न हो। अक्सर इस सोच को राजनीतिक या आर्थिक पुनर्संतुलन के रूप में देखा जाता है।”
परंपराएं हमारी पहचान का आधार
उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी समाज के लिए सम्मान और गरिमा बनाए रखने का एक सशक्त माध्यम संस्कृति और परंपराएं होती हैं। “परंपराएं हमारी पहचान का आधार होती हैं। यदि हम भविष्य को लेकर आत्मविश्वास रखना चाहते हैं, तो पहले हमें अपनी जड़ों और पहचान को समझना होगा। हमारे जैसे देशों के लिए परंपराएं वास्तव में शक्ति का बड़ा स्रोत हैं।”