Controversy escalated over three language policy,शिवसेना का हमला: “हिंदी थोपी गई तो याद रखा जाएगा”

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By Sunita Singh

🕒 Published 1 month ago (12:27 PM)

मुंबई – महाराष्ट्र में पहली कक्षा से हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के फैसले को लेकर विवाद छिड़ गया है।  शिव सेना ने इसको लेकर विरोध जताया है।  शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में प्रदेश के मुख्यमंत्री फडणवीस सरकार पर मराठी भाषा को दबाने का आरोप लगाया है। शिवसेना मुखपत्र में कहा गया है कि “हम हिंदी भाषा के विरोधी नहीं हैं, लेकिन यदि यह हम पर थोपी जाएगी तो इस विरोध अवश्य करेंगे। मराठी हमारी मातृभाषा है और यही हमारी सांस्कृतिक पहचान भी है। 

गुजरात में हिंदी नहीं तो महाराष्ट्र में क्यों? If there is no Hindi in Gujarat, then why in Maharashtra?

सामना ने मुखपत्र में यह सवाल भी उठाया कि जब प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के राज्य गुजरात में स्कूलों से हिंदी को हटा दिया गया है, तो फिर महाराष्ट्र में इसे क्यों थोपा जा रहा है? सामना में फिल्मी हस्तियों और खिलाड़ियों  जिनमें नाना पाटेकर, माधुरी दीक्षित, सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर जैसे दिग्गजों की चुप्पी पर सवाल उठाए गए हैं।इस सभी लोग मराठी के हक में आवाज उठानी चाहिए।

Three language formula is a burden for the states

सामना ने केंद्र सरकार के त्रिभाषा फॉर्मूले को राज्यों के लिए ‘गले का बोझ’(Three language formula is a burden for the states) बताते हुए कहा कि यह नीति भाषा के नाम पर जबरदस्ती है, जो संविधान और डॉ. आंबेडकर की सोच के खिलाफ है।शिवसेना के इस विरोध से यह साफ है कि महाराष्ट्र में भाषा के मुद्दे को लेकर भावनाएं गहरी हैं। जहां हिंदी को एक संपर्क भाषा के रूप में देखा जाता है, वहीं इसे मराठी पर थोपना, क्षेत्रीय पहचान को खतरा माना जा रहा है। इस बहस के बीच राज्य सरकार की अगली रणनीति और प्रतिक्रिया पर सभी की नजरें हैं।

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