🕒 Published 2 months ago (8:04 AM)
दिल्ली 30 अप्रैल 2025। पंजाब सरकार द्वारा हरियाणा को मिलने वाले पानी में कटौती के फैसले से दोनों राज्यों के बीच विवाद तेज हो गया है। पहले जहां 8500 क्यूसिक पानी दिया जा रहा था, अब केवल 4000 क्यूसिक पानी ही भेजा जा रहा है। इस कटौती के कारण हरियाणा के कई जिलों में पीने के पानी और सिंचाई की भारी समस्या उत्पन्न हो गई है.
BBMB ने केंद्र को भेजा मामला
पानी के बंटवारे का जिम्मा भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) के पास है। हरियाणा सरकार ने इस मसले को BBMB रूल्स 1974 की धारा 7 के तहत केंद्र सरकार को भेजने की मांग की, जिसके बाद बोर्ड ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को पत्र लिखा है। यह मंत्रालय पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के अधीन है, और अब अंतिम निर्णय उन्हीं को लेना है।
जल संकट से प्रभावित जिले
हिसार: जल संकट के कारण टैंकर माफिया सक्रिय, 400 की जगह 1200 रुपए वसूले जा रहे हैं।
फतेहाबाद: सिंचाई पर रोक, पानी की आपूर्ति घटकर आधी रह गई।
जींद: ग्रामीण इलाकों में निर्माण कार्य और वॉशिंग स्टेशन बंद।
पंचकूला: 67% तक पानी की आपूर्ति कम, टैंकर से पानी मंगवाना पड़ रहा है।
सिरसा, रेवाड़ी, झज्जर: संकट गहराया, एडवाइजरी जारी।
हरियाणा CM नायब सैनी की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कहा कि अगर हरियाणा में पानी की आपूर्ति में कटौती जारी रही, तो इसका सीधा असर दिल्ली पर भी पड़ेगा। उन्होंने पंजाब सरकार पर राजनीतिक उद्देश्य से पानी रोकने का आरोप लगाया।
पंजाब सरकार का पक्ष
पंजाब सरकार का कहना है कि हरियाणा अपने हिस्से से 103% पानी पहले ही इस्तेमाल कर चुका है, जबकि पंजाब को अभी तक केवल 89% पानी ही मिला है। नहरों की क्षमता केवल 10,000 क्यूसिक है और जल स्तर भी सामान्य से नीचे है।
सीएम भगवंत मान ने दी सफाई
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब के पास सीमित पानी है और धान की बुआई के लिए पानी की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पानी का बंटवारा वैज्ञानिक और न्यायसंगत होना चाहिए।
क्या है आगे का रास्ता?
अब इस मुद्दे का हल केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से ही संभव नजर आ रहा है। जल संकट के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए समय पर निर्णय जरूरी है ताकि लोगों को राहत मिल सके।