🕒 Published 4 months ago (6:28 AM)
अगर वक्फ संशोधन विधेयक 2025 दोनों सदनों से पारित हो जाता है, तो इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा, जिससे वक्फ बोर्ड के प्रबंधन, संपत्तियों के नियमन और अन्य प्रस्तावित बदलाव लागू हो जाएंगे। यह विधेयक बुधवार को संसद में पेश किया जाएगा। केंद्र सरकार इसे वक्फ बोर्ड की शक्तियों को नियंत्रित करने और संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लेकर आई है।
संसद में गरमा सकता है माहौल
सरकार और विपक्ष दोनों ही इस विधेयक को लेकर पूरी तरह तैयार हैं। ऐसे में इस पर संसद में तीखी बहस और हंगामे की संभावनाएं जताई जा रही हैं। संसद में आज पूरे दिन इस मुद्दे पर चर्चा होगी और वक्फ बिल को लेकर देश भर में क्या प्रतिक्रिया हो रही है, इस पर भी नजर रखी जाएगी।
वक्फ संशोधन बिल: कब और कैसे होगा पेश?
इस विधेयक को आज दोपहर 12 बजे लोकसभा में पेश किया जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस पर चर्चा के लिए आठ घंटे का समय निर्धारित किया है, हालांकि विपक्ष ने 12 घंटे की मांग की थी, जिसे सरकार ने अस्वीकार कर दिया। लोकसभा में चर्चा पूरी होने के बाद विधेयक को पारित करने की प्रक्रिया शुरू होगी।

राज्यसभा में विधेयक की स्थिति
लोकसभा में पारित होने के बाद विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में एनडीए के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है, इसलिए सरकार को सहयोगी दलों और कुछ अन्य सांसदों का समर्थन जुटाना होगा। इससे विधेयक में संशोधन या इसकी प्रक्रिया में देरी होने की संभावना बढ़ सकती है।
संसदीय समितियों में जा सकता है विधेयक?
अगर विपक्ष या कुछ सांसदों की मांग पर सहमति बनती है, तो विधेयक को विस्तृत समीक्षा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) या संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जा सकता है। ऐसा पहले भी अगस्त 2024 में हो चुका है, जब विधेयक को जेपीसी को सौंपा गया था।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बनेगा कानून
अगर यह विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पारित हो जाता है, तो इसे अंतिम रूप से राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी सहमति मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा, और इसके तहत वक्फ बोर्ड के अधिकारों और संपत्तियों के प्रबंधन में बदलाव लागू किए जाएंगे।
सरकार की तैयारी
सत्तारूढ़ भाजपा ने इस विधेयक को पारित कराने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके लिए भाजपा ने अपने सभी सांसदों को तीन लाइन का व्हिप जारी किया है, जिससे उन्हें आज सदन में उपस्थित रहना अनिवार्य होगा। सरकार इस विधेयक को बजट सत्र के समापन से पहले यानी 4 अप्रैल तक पारित कराने की कोशिश में है।
विपक्ष का रुख
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) इस विधेयक का कड़ा विरोध कर रहे हैं। विपक्ष इसे असंवैधानिक और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बता रहा है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय को कमजोर करने की एक साजिश है।
संसद में आज क्या होगा?
आज संसद में कार्यवाही सुबह 11 बजे से शुरू होगी। दोपहर 12 बजे विधेयक पेश होने के बाद इस पर चर्चा आरंभ होगी। विपक्ष के विरोध और हंगामे की संभावना है, जिससे कार्यवाही बाधित हो सकती है। चर्चा के बाद शाम तक मतदान की प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
विधेयक की मुख्य बातें
इस विधेयक में 44 संशोधन प्रस्तावित हैं। इनमें वक्फ बोर्ड की शक्तियों में कमी, गैर-मुस्लिम सदस्यों को बोर्ड में शामिल करना और संपत्ति विवादों के निपटारे के लिए कलेक्टर को विशेष अधिकार देना शामिल है। सरकार का दावा है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और मुस्लिम महिलाओं को विशेष लाभ मिलेगा।
जेपीसी में सहमति क्यों नहीं बनी?
इससे पहले जब यह विधेयक जेपीसी के पास भेजा गया था, तब समिति ने 14 संशोधनों को मंजूरी दी थी। विपक्ष ने इन संशोधनों पर असहमति जताई और दावा किया कि उनके सुझावों को नजरअंदाज किया गया है। सरकार ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रही है।
विधेयक पास होने से क्या बदलाव होंगे?
अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो यह वक्फ बोर्ड के कार्य करने के तरीके में बड़ा बदलाव लाएगा। सरकार इसे मुस्लिम समुदाय के हित में बता रही है, जबकि विपक्ष इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दे रहा है। आज का दिन संसद में राजनीतिक शक्ति संतुलन और सरकार की रणनीतिक जीत का गवाह बन सकता है।
अब देखना होगा कि यह विधेयक कितनी आसानी से पारित होता है या फिर इसमें कोई संशोधन किए जाते हैं।
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