US Stock Market Crash: अमेरिकी बाजार में 2 साल की सबसे भयंकर गिरावट, 900 अंकों की बड़ी गिरावट

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By Pragati Tomer

US Stock Market Crash: अमेरिकी बाजार में 2 साल की सबसे भयंकर गिरावट, 900 अंकों की बड़ी गिरावट

US Stock Market Crash:

अमेरिका के शेयर बाजार में निवेशकों को भारी झटका लगा है। सोमवार को अमेरिकी शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट दर्ज हुई, जो पिछले दो सालों की सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है। US Stock Market Crash के कारण Dow Jones 900 अंक तक टूट गया, जबकि Nasdaq और S&P 500 में भी भारी गिरावट देखने को मिली। इस घटना ने न केवल निवेशकों की अरबों डॉलर की संपत्ति को नष्ट कर दिया है, बल्कि बाजार में मची अफरातफरी के कारण पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ा है।

US Stock Market Crash के कारण: मंदी का खतरा और महंगाई

This US Stock Market Crash का मुख्य कारण अमेरिका में बढ़ती महंगाई और संभावित आर्थिक मंदी (Recession) को जाना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि महंगाई दर में सुधार नहीं होता है, तो अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करने से बच सकता है, जिससे बाजार में और गिरावट आ सकती है। Dow Jones, Nasdaq 100, और S&P 500 के अलावा Russell 2000 इंडेक्स में भी गिरावट आई है, जो यह दिखाता है कि निवेशकों में डर और अनिश्चितता बढ़ रही है।

Dow Jones और अन्य सूचकांकों पर प्रभाव

सोमवार के US Stock Market Crash में Dow Jones 900 अंक गिर गया, जबकि Nasdaq ने सितंबर 2022 के बाद का सबसे खराब दिन देखा। इस गिरावट का प्रभाव अमेरिकी शेयर बाजार के सभी प्रमुख सूचकांकों पर पड़ा। Nasdaq 100 में भी लगभग 1.1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, जो यह दिखाता है कि बाजार में अस्थिरता बढ़ रही है। Dow Jones में 7% की गिरावट हुई, जबकि S&P 500 में 8.6% की गिरावट हुई। Nasdaq 14% तक गिर गया और Russell 2000 18% गिर गया, जो इसे बेयर मार्केट के करीब ले गया है।

Tesla के शेयरों में सबसे बड़ा नुकसान

US Stock Market Crash का सबसे बड़ा नुकसान टेस्ला के स्टॉक में दिखाया जा रहा है, जो 15% तक के निचले स्तर पर चले गए हैं। यह सबसे बड़ा एक-दिन की गिरावट 2020 के बाद है। टेस्ला के स्टॉक में गिरावट की वापस चीन और जर्मनी में बिक्री में भारी गिरावट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। चीन में टेस्ला की बिक्री 49% घट गई है, जबकि जर्मनी में टेस्ला कारों की रजिस्ट्रेशन 70% कम हो गया है। यह टेस्ला के निवेशकों के लिए बड़ी झटका साबित हो रहा है।

US Stock Market Crash

और गिरावट की संभावना बाजार में

Experts believe US Stock Market Crash का impact long-lasting रह सकता है। RBC Capital Markets की लोरी कैलवसिना ने CNBC पर दावा किया है कि बाजार में और 15% से 20% की गिरावट भी संभव है। JPMorgan ने S&P 500 के लिए नया ‘बेयर केस’ टार्गेट 5,200 पहुंचाया है, जबकि RBC Capital ने इसे कम करके 5,600 कर दिया है। इस गिरावट के चलते बाजार में और अधिक अस्थिरता आने का खतरा बढ़ गया है।

बॉन्ड और तेल बाजार पर असर

US Stock Market Crash का प्रभाव सिर्फ शेयर बाजार तक ही ही, बल्कि बॉन्ड और तेल बाजारों पर भी इसका बड़ा असर पड़ा है। अमेरिकी 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड 4.2% के नीचे गिर गई है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। इसके साथ ही, तेल की कीमतें भी 6 महीने के निम्नतम स्तर पर आ गई हैं। Brent क्रूड की कीमत $69 प्रति बैरल से नीचे और WTI क्रूड की कीमत $66 प्रति बैरल से नीचे गिर गई है। इस गिरावट का प्रभाव वैश्विक तेल बाजार पर भी देखा जा रहा है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां और बाजार की स्थिति

अमेरिकी फेडरल रिजर्व से अब 80 बेसिस पॉइंट की दर कटौती की उम्मीद की जा रही है। अगर ऐसा होता है तो इससे बाजार में कुछ सुधार की संभावना बन सकती है। हालांकि, अगर महंगाई दर में कोई सुधार नहीं होता है, तो फेडरल रिजर्व को ब्याज दरों में कटौती से बचने की जरूरत पड़ सकती है, जिससे बाजार में और गिरावट हो सकती है। US Stock Market Crash ने निवेशकों को और अधिक सतर्क कर दिया है, और बाजार में निवेश के प्रति उनकी धारणा में बदलाव हो सकता है।

आगे की संभावनाएं

अगले दिनों में अमेरिकी बाजार कैसी होगी, यह महंगाई (CPI) के नए आंकड़ों पर निर्भर करेगा, जो 12 मार्च को आने वाले हैं। अगर इन आंकड़ों में महंगाई दर में कमी होती है, तो बाजार में राहत मिल सकती है। लेकिन अगर महंगाई की स्थिति जस की तस रहेगी, तो बाजार में फिर गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आज टॉप CEOs और वॉल स्ट्रीट बैंक अधिकारियों को संबोधित करने वाले हैं, जिससे बाजार की स्थिति पर कुछ हद तक प्रभाव पड़ सकता है।

भारतीय बाजार पर प्रभाव

US Stock Market Crash का प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ सकता है। FII (Foreign Institutional Investors) की सेल बढ़ सकती है, जिससे Nifty और Sensex पर दबाव रहेगा। मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स पर अधिक गिरावट हो सकती है। यदि अमेरिकी मंदी और गहरी होती है, तो भारतीय बाजारों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा, और निवेशकों को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।

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