अमेरिका भारत पर लगाएगा 500% टैरिफ? ट्रंप का नया बिल मोदी के लिए ‘पीठ में छुरा’?

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By Hindustan Uday

🕒 Published 1 month ago (6:05 PM)

अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक रिश्तों में एक बार फिर खटास आने के आसार हैं। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर भारत पर सख्त आर्थिक कदम उठाने की तैयारी में हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक, ट्रंप समर्थित एक प्रस्तावित बिल के तहत भारत जैसे देशों पर 500% तक का टैरिफ लगाया जा सकता है, जो रूस से व्यापार जारी रखे हुए हैं।

इस बिल की जानकारी रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने दी है। उनका कहना है कि जिन देशोंने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है और यूक्रेन को समर्थन नहीं दे रहे हैं, उन पर यह नया भारी-भरकम आयात शुल्क लागू किया जाएगा। उन्होंने साफ कहा, “भारत और चीन मिलकर रूस के तेल का करीब 70% खरीदते हैं और इसी से रूस का युद्ध तंत्र चलता रहता है। अगर आप रूस से खरीद रहे हैं और यूक्रेन की मदद नहीं कर रहे, तो आपको अमेरिका में अपने उत्पादों पर 500% टैरिफ चुकाना पड़ेगा।”

ट्रंप के साथ गोल्फ खेलते हुए हुआ फैसला

लिंडसे ग्राहम के अनुसार, यह बिल मार्च में ही आ जाना था, लेकिन व्हाइट हाउस के विरोध के चलते इसे टाल दिया गया। उन्होंने एबीसी न्यूज से बातचीत में खुलासा किया कि ट्रंप ने हाल ही में गोल्फ खेलते हुए इस बिल को आगे बढ़ाने की अनुमति दी। अब उम्मीद की जा रही है कि अगस्त में इसे अमेरिकी सीनेट में पेश किया जाएगा।

भारत के लिए बन सकता है बड़ा आर्थिक संकट

अगर यह प्रस्तावित बिल कानून बन जाता है, तो भारत के लिए बड़ा आर्थिक झटका साबित हो सकता है। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है और फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल, आईटी सेवाएं और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों पर इसका सीधा असर पड़ेगा। भारी टैरिफ के चलते इन उत्पादों के दाम अमेरिकी बाजार में काफी बढ़ सकते हैं, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धा कमजोर पड़ जाएगी और निर्यात में गिरावट आ सकती है।

ऐसे समय में आया प्रस्ताव, जब ट्रेड डील की चल रही बातचीत

दिलचस्प बात यह है कि यह प्रस्ताव ऐसे समय में सामने आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते (Indo-US Trade Deal) को अंतिम रूप देने की बातचीत चल रही है। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने हाल ही में कहा कि यह समझौता “बहुत करीब” है। वहीं भारत का प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन में लगातार वार्ता कर रहा है, लेकिन कृषि संबंधी मुद्दों पर गतिरोध बना हुआ है।

84 सीनेटरों का समर्थन

इस प्रस्तावित विधेयक को सीनेटर ग्राहम और डेमोक्रेटिक सीनेटर रिचर्ड ब्लूमेंथल ने मिलकर तैयार किया है और इसे करीब 84 अन्य सीनेटरों का समर्थन भी प्राप्त है। यानी अगर यह बिल पेश होता है, तो इसके पारित होने की संभावना भी काफी अधिक है।

रूस से भारत का तेल व्यापार

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में रियायती दरों पर कच्चा तेल खरीदा है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 24 फरवरी 2022 से 2 मार्च 2025 के बीच रूस से लगभग 118 अरब डॉलर (करीब 112.5 अरब यूरो) का कच्चा तेल आयात किया है। इससे भारत को ऊर्जा सुरक्षा के साथ-साथ करीब 10.5 से 25 अरब डॉलर की बचत भी हुई है। 2023-24 में रूस से तेल आयात की हिस्सेदारी भारत की कुल तेल खपत का 35-45% तक पहुंच गई, जो युद्ध से पहले सिर्फ 1% से भी कम थी।

अमेरिका की नाराजगी और भारत की रणनीति

अमेरिका को भारत का रूस से तेल खरीदना खटक रहा है। हालांकि भारत ने साफ किया है कि उसका तेल आयात देशहित में है और वह किसी गुट की राजनीति नहीं करता। अमेरिका का यह प्रस्ताव रूस को अलग-थलग करने की उसकी वैश्विक रणनीति का हिस्सा है, लेकिन इसका सीधा असर भारत जैसे साझेदार देशों पर पड़ सकता है।

अगर यह बिल पारित होता है, तो यह केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक रिश्तों को भी प्रभावित कर सकता है। भारत के लिए यह वक्त बेहद संवेदनशील है क्योंकि एक ओर वह अमेरिका के साथ मजबूत व्यापारिक रिश्ते चाहता है, वहीं रूस के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को भी बनाए रखना चाहता है।

अब देखना होगा कि भारत इस संभावित चुनौती से कैसे निपटता है और क्या अमेरिका वास्तव में अपने सबसे बड़े लोकतांत्रिक साझेदार को इतनी बड़ी आर्थिक सजा देने की हद तक जाएगा?

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