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यूपी में अधिकारियों की पदोन्नति पर संकट, रद्द वरिष्ठता सूची के बाद वापस हो सकते हैं प्रमोशन

उत्तर प्रदेश के समीक्षा अधिकारियों की पदोन्नति पर बड़ा फैसला जल्द आने वाला है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद रद्द की गई वरिष्ठता सूची के कारण अब कई अधिकारियों का प्रमोशन वापस लिया जा सकता है। सचिवालय में इस संबंध में प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और सूत्रों के अनुसार सरकार जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय ले सकती है।

रद्द वरिष्ठता सूची से जुड़ा विवाद

मामला 144 सहायक समीक्षा अधिकारियों की पदोन्नति से जुड़ा है, जिन्हें समीक्षा अधिकारी के पद पर प्रोन्नत करते हुए 2015-16 का चयन वर्ष दिया गया था। बाद में वर्ष 2023 में शासन स्तर पर निर्णय लेते हुए इनका चयन वर्ष बदलकर 2016-17 कर दिया गया। इस बदलाव से असंतुष्ट अधिकारियों ने हाईकोर्ट का रुख किया।

कोर्ट के आदेश के बाद बदल सकता है फैसला

हाईकोर्ट ने अब आदेश दिया है कि इन अधिकारियों का चयन वर्ष 2015-16 ही माना जाएगा। कोर्ट के इस आदेश का सीधा असर उन अधिकारियों पर पड़ेगा जिन्हें बदली हुई वरिष्ठता सूची के आधार पर पदोन्नति मिल चुकी थी। सूत्र बताते हैं कि करीब 60 अधिकारियों को इसी विवादित वरिष्ठता सूची के आधार पर समीक्षा अधिकारी के पद पर पदोन्नत किया गया था। अब इनकी पदोन्नति रद्द करने की प्रक्रिया सचिवालय में चल रही है।

प्रक्रिया पर मिली सैद्धांतिक सहमति

जानकारी के अनुसार, शासन स्तर पर पदोन्नति रद्द करने को लेकर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। केवल उच्च स्तर से औपचारिक मंजूरी मिलना बाकी है। बताया जा रहा है कि कोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए शासन कोई चूक नहीं करना चाहता।

पदोन्नति प्रक्रिया पर प्रभाव

अनुभाग अधिकारियों के रिक्त पदों के आधार पर समीक्षा अधिकारियों की पदोन्नति होती है। जब तक कोर्ट का अंतिम निर्णय नहीं आया था, तब तक विभागीय पद रिक्त होने पर चरणबद्ध तरीके से पदोन्नतियाँ दी जाती रहीं। अब जबकि चयन वर्ष 2015-16 को फिर से मान्य कर दिया गया है, नई वरिष्ठता सूची तैयार कर ली गई है।

इस नई सूची के हिसाब से अब पदोन्नति की प्रक्रिया दोबारा से शुरू होगी। ऐसे अधिकारी, जो पहले बदली हुई सूची के कारण ऊपर आ गए थे और पदोन्नति पा चुके थे, अब पीछे चले जाएंगे। वहीं जो पहले पीछे थे, वे नई वरिष्ठता के हिसाब से आगे आ जाएंगे।

सचिवालय में मंथन जारी

सचिवालय सूत्रों के अनुसार, इस पूरी प्रक्रिया पर फाइल उच्च स्तर तक पहुंच चुकी है। शासन चाहता है कि कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए प्रशासनिक संतुलन भी बना रहे। इस कारण हर पहलू पर बारीकी से विचार किया जा रहा है।

प्रभावित अधिकारियों में बेचैनी

इस मामले में जिन अधिकारियों के प्रमोशन वापस लिए जाने की संभावना है, उनमें असमंजस और बेचैनी बनी हुई है। कई अधिकारी यह मानते हैं कि वे कोर्ट के आदेश से पहले वैधानिक रूप से पदोन्नत हुए थे, इसलिए अब पदावनति उचित नहीं है। वहीं, दूसरी ओर जिनका चयन वर्ष पहले का था, वे वरिष्ठता बहाल होने से राहत महसूस कर रहे हैं।

जल्द हो सकता है आदेश जारी

सूत्रों की मानें तो सचिवालय प्रशासन जल्द ही इस मामले पर निर्णय जारी कर सकता है। फिलहाल सभी विभागों से प्रमोशन से जुड़ी फाइलें और रिकॉर्ड मंगाए जा चुके हैं। कोर्ट के आदेश के अनुपालन के लिए शासन जल्द अधिसूचना जारी करेगा।

इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश सचिवालय में समीक्षा अधिकारियों की नई वरिष्ठता सूची के आधार पर प्रमोशन की प्रक्रिया फिर से तय होगी। यह कदम न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता को मजबूत करेगा, बल्कि पदोन्नति से जुड़ी भविष्य की प्रक्रिया पर भी असर डालेगा।

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