‘सुलेमान का न्याय’ बना पुलिस का फार्मूला, मेमने ने खुद चुनी अपनी मां!

By Hindustan Uday

🕒 Published 4 months ago (10:49 AM)

कानपुर। कहते हैं न्याय सिर्फ अदालत में ही नहीं, कभी-कभी थाने में भी दिल से दिया जाता है, और जब मामला बकरी के मेमने की ममता का हो, तो इंसाफ का तरीका भी थोड़ा खास होना ही चाहिए। ऐसा ही दिलचस्प वाकया शनिवार को कल्याणपुर थाने के समाधान दिवस पर सामने आया, जहां दो महिलाएं एक ही मेमने पर दावा ठोकती नजर आईं।

मामला गोवा गार्डन इलाके का था। चंद्रा देवी और मीना कुमारी, दोनों ही महिलाएं दावा कर रही थीं कि विवादित मेमना उन्हीं की बकरी का बच्चा है। चंद्रा देवी के मुताबिक, उनकी सफेद बकरी ने 20 दिन पहले मेमने को जन्म दिया था और वो बीमार था, इसलिए उनके पति उसे इलाज के लिए ले जा रहे थे। इसी दौरान मीना कुमारी ने उन्हें रोक लिया और कहा— “ये मेमना मेरी बकरी का है!”

थाने में पहुंचा ‘बकरी का बच्चा’

मामले ने इतना तूल पकड़ा कि पुलिस को बीच में आना पड़ा। दोनों महिलाओं को थाने लाया गया, जहां समाधान दिवस चल रहा था। पुलिस ने पहले दोनों पक्षों की बात सुनी, फिर एक अनोखा फैसला लिया— ऐसा फैसला जो बुद्धिमत्ता के साथ भावनाओं को भी छू गया।

‘मां’ की पहचान दूध से

थाने में दोनों बकरियों को अलग-अलग बांध दिया गया— एक सफेद और दूसरी काली। फिर उस छोटे से मेमने को बीच में छोड़ दिया गया। अब निर्णय का भार उसी पर था। कुछ पल तक वो इधर-उधर भटका, और फिर वो सीधा गया सफेद बकरी की ओर और दूध पीने लगा।

बस, फिर क्या था— पुलिस ने घोषणा की, “मेमना उसी का, जिसकी बकरी ने उसे दूध पिलाया!” इस अनोखे फैसले पर दोनों पक्षों ने हामी भरी, और विवाद खत्म हो गया।

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