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UKSSSC पेपर लीक केस: रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में SIT जांच, रिजल्ट फिलहाल नहीं होगा घोषित

देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की स्नातक स्तरीय परीक्षा पेपर लीक मामले में उत्तराखंड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की है। SIT को एक महीने के अंदर अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंपनी होगी। इस मामले की जांच पूरी होने तक परीक्षा का परिणाम घोषित नहीं किया जाएगा।

मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने कहा कि सरकार इस घटना से सबक ले रही है और किसी भी कमी को सुधारने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार युवाओं के साथ किसी भी तरह का धोखा नहीं चाहती है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

पेपर लीक की घटना

बीते 21 सितंबर को UKSSSC ने स्नातक स्तरीय पदों की लिखित परीक्षा आयोजित की थी। प्रदेश के 445 केंद्रों पर सुबह 11 बजे परीक्षा शुरू हुई, लेकिन शुरू होने के कुछ ही देर बाद प्रश्न पत्र के कुछ स्क्रीनशॉट्स सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इसके बाद उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने पेपर लीक होने का आरोप लगाया।

यूकेएसएसएससी ने तत्काल देहरादून एसएसपी अजय सिंह को मामला सौंपा। एसएसपी और यूकेएसएसएससी अध्यक्ष जीएस मर्तोलिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि जैमर लगे होने के बावजूद परीक्षा केंद्र से प्रश्न पत्र कैसे बाहर आया। उन्होंने यह भी कहा कि पेपर का केवल तीन पन्ने बाहर आए थे।


गिरफ्तारी और जांच

पुलिस की जांच में खालिद नामक व्यक्ति सामने आया, जिसे 23 सितंबर को हरिद्वार से गिरफ्तार किया गया। उसकी बहन साबिया को भी हिरासत में लिया गया। जांच में पता चला कि पेपर आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज, बहादरपुर, हरिद्वार से लीक हुआ।

  • खालिद जिस परीक्षा केंद्र में था, वहां कुल 18 कमरे थे।

  • केवल 3 कमरे (9, 17, 18) में जैमर नहीं लगे थे।

  • खालिद ने कमरे नंबर 9 से परीक्षा के तीन पन्ने अपनी बहन साबिया को भेजे, जिसने इन्हें प्रोफेसर सुमन चौहान को भेजा।

खालिद और उसकी बहनें फिलहाल पुलिस की गिरफ्त में हैं। खालिद का मोबाइल अभी गायब है, जिसकी तलाश पुलिस कर रही है। उम्मीद है कि मोबाइल से कई अहम जानकारियां मिलेंगी।


इससे पहले की गिरफ्तारी

पेपर से एक दिन पहले यानी 20 सितंबर को पुलिस ने नकल माफिया हाकम सिंह और उसके साथी को भी गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने अभ्यर्थियों को एग्जाम में पास कराने का झांसा देकर 15-15 लाख रुपए लिए।

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