फडणवीस, शिंदे और अजित पवार पर उद्धव ठाकरे का तीखा प्रहार, कहा- चुनावी वादे भूल गई सरकार

By Ankit Kumar

🕒 Published 4 months ago (6:06 AM)

महाराष्ट्र की राजनीति में हाल ही में उथल-पुथल देखने को मिली जब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने सीएम देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार पर जमकर निशाना साधा। सामना के संपादकीय में ठाकरे ने इन तीनों नेताओं को एक नंबर का ‘बंडलबाज’ करार दिया और उन पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।

वादों की हकीकत या जनता के साथ छल?

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान बड़े-बड़े वादे किए गए थे। फडणवीस और शिंदे ने कहा था कि “लाडली बहनों को 2100 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे, किसानों का 3 लाख रुपये तक का कर्ज माफ किया जाएगा और बेरोजगार युवाओं को 4 हजार रुपये प्रति माह दिया जाएगा।”

लेकिन अब सत्ता में आने के बाद ये वादे हवा हो चुके हैं। सत्ता पक्ष का कहना है कि “अभी इन योजनाओं पर अमल संभव नहीं है, सही समय आने पर देखा जाएगा।” ठाकरे ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या जनता के साथ किया गया यह वादा महज एक छलावा था?

 

किसानों के लिए कर्जमाफी का सपना टूटा

अजित पवार ने हाल ही में किसानों को एक बड़ा झटका दिया। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है, इसलिए सभी किसान 31 मार्च से पहले अपनी लोन की किस्त चुकाएं, वरना जब्ती की कार्रवाई की जाएगी।” जब किसानों ने इस पर आपत्ति जताई और वादों की याद दिलाई, तो पवार ने सीधा जवाब दिया, “अरे पगले, क्या तूने कभी मेरे भाषण में कर्जमाफी के बारे में सुना था?” ठाकरे ने इस बयान की कड़ी आलोचना की और कहा कि यह किसानों के साथ अन्याय है।

ईडी-सीबीआई की कार्रवाई पर उठे सवाल

उद्धव ठाकरे ने फडणवीस पर तंज कसते हुए कहा कि वह हर बार अपने भाषणों में कहते थे कि किसानों के सातबारा कोरा करेंगे, जिससे वे चिंता मुक्त हो जाएंगे। लेकिन हकीकत में हुआ यह कि फडणवीस ने शिंदे, अजित पवार और पटेल की ईडी और सीबीआई से जुड़ी फाइलों को ‘कोरा’ कर दिया। ठाकरे ने इसे खुला धोखा बताते हुए तीनों नेताओं के खिलाफ धारा 420 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की।

राजनीतिक दिशा बदलने की कोशिश?

जहां एक तरफ जनता अपनी रोजमर्रा की जरूरतों और सरकार से किए गए वादों पर जवाब चाहती है, वहीं अब नेताओं का ध्यान किसी और दिशा में जाता दिख रहा है। ठाकरे ने कटाक्ष करते हुए कहा कि अब ये नेता लोगों से औरंगजेब की कब्र खोदने की बात कर रहे हैं। जनता को हिंदुत्व के नाम पर भटकाया जा रहा है, जबकि असली मुद्दे – बेरोजगारी, किसानों की परेशानी और महंगाई – गौण कर दिए गए हैं।

जनता क्या करेगी फैसला?

महाराष्ट्र की जनता अब इन घटनाक्रमों पर पैनी नजर रख रही है। ठाकरे की इस आक्रामक राजनीति का क्या असर होगा और क्या जनता इन नेताओं से जवाब मांगेगी? यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है।

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