ट्रंप की टैक्स तानाशाही! अमेरिका ही नहीं, पूरी दुनिया त्राहिमाम में | Trump Tariff War Explained

By Hindustan Uday

🕒 Published 8 hours ago (6:38 PM)

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी विवादास्पद टैरिफ नीति के जरिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। इस बार उन्होंने न केवल चीन या मैक्सिको जैसे बड़े देशों को निशाना बनाया है, बल्कि भारत, जापान, ब्रिटेन, कनाडा और कुछ अफ्रीकी देशों पर भी नया टैक्स लगाने की बात कही है।

7 अगस्त से लागू हो सकती है नई टैरिफ

ट्रंप ने स्पष्ट किया है कि अगर वे 2024 में फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो 7 अगस्त से एक नई टैरिफ व्यवस्था लागू करेंगे। इसमें दुनिया के कई देशों से आने वाले उत्पादों पर 10% से लेकर 60% तक का आयात शुल्क लगाया जाएगा। इस कदम का सबसे बड़ा असर अमेरिका के उपभोक्ताओं पर भी देखने को मिल सकता है।

घरेलू स्तर पर बढ़ेगी महंगाई

विशेषज्ञों का मानना है कि इस टैरिफ के कारण अमेरिका के अंदर उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ सकती हैं। ट्रंप पहले ही संकेत दे चुके हैं कि इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, मशीनें और कई अन्य आवश्यक वस्तुओं पर भी भारी टैक्स लगाया जा सकता है, जिससे अमेरिकी नागरिकों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।

विकासशील देशों पर दोहरी मार

ट्रंप की योजना में जिन देशों को सबसे अधिक नुकसान हो सकता है, उनमें अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के विकासशील देश शामिल हैं। इन देशों की अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर है, और ऐसे में अमेरिका जैसे बड़े बाजार में प्रवेश कठिन हो जाएगा।

अमेरिका की वैश्विक छवि को नुकसान

इस नीति के कारण अमेरिका की वैश्विक छवि पर भी असर पड़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार संगठनों और देशों के बीच अमेरिका को एक आक्रामक और संरक्षणवादी देश के रूप में देखा जा सकता है। इससे WTO जैसी संस्थाओं में तनाव बढ़ सकता है।

चुनावी रणनीति या आर्थिक दबाव?

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की यह नीति आंशिक रूप से चुनावी रणनीति का हिस्सा भी हो सकती है। 2024 के चुनाव से पहले वे घरेलू उद्योगों और व्यापारियों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इससे अमेरिका की दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति से दुनिया भर के छोटे और बड़े देश चिंतित हैं। यह कदम न केवल वैश्विक व्यापार को प्रभावित कर सकता है, बल्कि अमेरिका के अंदर भी असंतोष का कारण बन सकता है। अब देखने वाली बात होगी कि अगर वे फिर से सत्ता में आते हैं, तो इस नीति को किस स्तर तक लागू किया जाता है।

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