🕒 Published 1 month ago (4:00 PM)
नई दिल्ली, अंतरराष्ट्रीय राजनीति के सबसे खतरनाक मोड़ों में से एक पर अमेरिका ने फिर से हस्तक्षेप किया है । यह हस्तक्षेप किया है अमेरिकी राष्ट्रपति डोलाल्ड ट्रंप ने। मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच छिड़ा भीषण टकराव, अब अचानक संभावित युद्धविराम की ओर बढ़ गया।व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ट्रंप ने व्यक्तिगत रूप से इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बात की, और अमेरिका की राजनयिक टीम ने ईरान से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष वार्ता की।
ट्रंप ने के टीम को निर्देश
सूत्रों के मुताबिक, शनिवार रात ट्रंप ने अपनी टीम को निर्देश दिया इसके बाद उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, विदेश मंत्री मार्को रुबियो, और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने ईरान से संपर्क साधा। बातचीत के दौरान इजरायल ने स्पष्ट किया कि अगर ईरान नया हमला नहीं करता, तो वो युद्धविराम के लिए तैयार हैं।
बातचीत के बीच मिसाइलों की गूंज
ट्रंप ने सोमवार को बयान दिया कि “पूर्ण और समग्र युद्धविराम कुछ घंटों में लागू हो सकता है।” लेकिन इसके कुछ ही देर बाद हालात बदल गए। ईरान ने अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइल दागी, हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ। जवाब में, अमेरिकी बमवर्षकों ने ईरान की भूमिगत परमाणु सुविधाओं पर 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर बम गिराए। इसके बाद फिर से कूटनीतिक कोशिशें तेज हुईं।
ईरान ने कहा:”हमें जंग का शौक नहीं
ईरानी प्रतिनिधियों ने यह संकेत दिया कि यदि इजरायल हमला नहीं करता, तो वे भी आगे कोई सैन्य कार्रवाई नहीं करेंगे। एक अधिकारी के अनुसार, ईरान ने कहा:”हमें जंग का शौक नहीं है। अगर हमला नहीं हुआ, तो जवाब भी नहीं होगा।”
क्या युद्धविराम स्थायी होगा
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या वास्तव में यह वार्ता स्थायी युद्धविराम में तब्दील हो पाएगी या यह सिर्फ अस्थायी शांति का झांसा है। लेकिन एक बात बिल्कुल साफ है कि डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से दुनिया की सबसे संवेदनशील मुद्दे में खुद को केंद्र में खड़ा कर दिया है।
क्या ये ट्रंप की चुनावी रणनीति है या असली शांति प्रयास?
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह हस्तक्षेप ट्रंप की “शांतिदूत” छवि को मज़बूत करने की रणनीति भी हो सकती है, खासकर चुनावी साल में। लेकिन अगर यह युद्धविराम स्थायी रूप से लागू होता है, तो यह न केवल हजारों जानें बचाएगा, बल्कि अमेरिका के साथ ट्रंप की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी सशक्त करेगा।