2 अप्रैल से ट्रम्प लागू करेंगे नए टैरिफ, जानिए भारत, कनाडा और मेक्सिको पर क्या होगा असर

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By Ankit Kumar

🕒 Published 3 months ago (5:37 AM)

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने सोमवार को जानकारी दी कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने दूसरे कार्यकाल की पहली रोज गार्डन प्रेस कॉन्फ्रेंस में टैरिफ योजना की घोषणा करने जा रहे हैं। 2 अप्रैल को ‘मार्केटिंग मुक्ति दिवस’ के रूप में चिन्हित करते हुए, ट्रम्प पूरी दुनिया पर पारस्परिक टैरिफ लागू करने की योजना बना रहे हैं। यह नीति अमेरिका में आयातित वस्तुओं पर कर लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी। ट्रम्प का मानना है कि इस कदम से अमेरिका की विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता कम होगी। हालांकि, इस योजना से जुड़ी विस्तृत जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है, क्योंकि प्रशासन की ओर से अलग-अलग प्रस्ताव पेश किए जाते रहे हैं।

पारस्परिक टैरिफ का उद्देश्य

ट्रम्प के इस फैसले के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि दशकों से अमेरिका को अनुचित व्यापार नीतियों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है। इस टैरिफ योजना का मकसद अमेरिकी श्रमिकों और उद्योगों को सुरक्षित करना है। व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि नए टैरिफ दरें अन्य देशों द्वारा अमेरिका पर लगाए गए टैरिफ के आधार पर तय की जाएंगी। उदाहरण के लिए, कनाडा अमेरिकी डेयरी उत्पादों पर 250% तक टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी इसी तरह की नीति अपनाएगा। ट्रम्प प्रशासन का दावा है कि यह नीति व्यापार असंतुलन को ठीक करने में सहायक होगी।

वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

विशेषज्ञों के अनुसार, पारस्परिक टैरिफ का असर व्यापक होगा, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है। व्यापारिक अस्थिरता के चलते बाजार में अनिश्चितता बढ़ेगी और निवेशकों का भरोसा कम हो सकता है। विभिन्न उद्योगों और वैश्विक व्यापार साझेदारों पर इस नीति का गहरा प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा, अमेरिका ने प्रस्तावित किया है कि कुछ विशेष क्षेत्रों जैसे लकड़ी, तांबा, फार्मास्यूटिकल्स और माइक्रोचिप्स पर भी टैरिफ लागू किया जाएगा। पहले ही, ऑटो टैरिफ की घोषणा हो चुकी है, जो 3 अप्रैल से प्रभावी होगी। इससे विदेशी कारों की कीमतों में वृद्धि संभव है।

 

2 अप्रैल को संभावित घटनाक्रम

ट्रम्प प्रशासन का अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि 2 अप्रैल को क्या निर्णय लिया जाएगा, लेकिन संकेत मिले हैं कि अमेरिका में आने वाले सभी विदेशी उत्पादों पर टैरिफ लगाया जाएगा। यह कर दरें अन्य देशों के वैट और घरेलू कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी को ध्यान में रखकर निर्धारित की जा सकती हैं। अनुमान है कि इस नई नीति से अमेरिका को 600 अरब डॉलर का राजस्व प्राप्त हो सकता है।

विभिन्न देशों की प्रतिक्रिया

इस नीति को लेकर कई देशों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कनाडा के प्रधानमंत्री ने अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंधों को पुनः परिभाषित करने की बात कही है और जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इसी तरह, मेक्सिको ने भी कहा है कि वे अमेरिकी उत्पादों पर समान कर लगाएंगे। मेक्सिको सरकार ने ‘मेड इन मेक्सिको’ अभियान शुरू किया है ताकि घरेलू उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सके।

चीन, जापान और दक्षिण कोरिया ने इस मामले में आपसी सहयोग पर सहमति जताई है। चीन ने ट्रम्प प्रशासन की नीति को अमेरिका के लिए नुकसानदायक करार दिया है और कहा है कि इससे वैश्विक व्यापार असंतुलित हो सकता है।

भारत पर प्रभाव

भारत के कई औद्योगिक और कृषि उत्पाद अमेरिका को निर्यात किए जाते हैं। फार्मास्यूटिकल उद्योग, जो कि भारत का सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र है, पर 10.90% तक टैरिफ बढ़ने की संभावना है। इससे जेनेरिक दवाओं की लागत बढ़ सकती है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में पहले से ही ऊंचे टैरिफ लागू होने के कारण भारत पर नए शुल्कों का प्रभाव कम रहने की उम्मीद है।

निष्कर्ष

ट्रम्प की टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार को नया रूप दे सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अमेरिका के लिए उल्टा भी साबित हो सकता है। जवाबी टैरिफ के चलते अमेरिका के निर्यात पर भी असर पड़ेगा और वैश्विक बाजार में अस्थिरता आएगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रम्प प्रशासन इस नीति को कैसे लागू करता है और अन्य देश इसके प्रति क्या प्रतिक्रिया देते हैं।

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