नई दिल्ली – अमेरिका की ओर से भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने के बावजूद, देश की तेल रिफाइनरियां रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रख रही हैं। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने अभी तक रिफाइनरियों को इस खरीद पर रोक लगाने या कम करने का कोई निर्देश नहीं दिया है। भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 7 अगस्त को दोहराया कि किसानों और देश के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा।
ट्रंप का निर्णय और टैरिफ में इजाफा
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 6 अगस्त को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करके भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी। यह कदम रूस से तेल आयात करने के चलते उठाया गया। अब भारत पर कुल टैरिफ दर 50 प्रतिशत हो गई है, जिससे वह ब्राजील के साथ दुनिया के सबसे अधिक शुल्क झेलने वाले देशों में शामिल हो गया है।
सरकार का रुख और रिफाइनरियों की रणनीति
एक प्रमुख तेल रिफाइनरी के अधिकारी ने बताया, “सरकार की तरफ से कोई नई नीति या निर्देश जारी नहीं हुए हैं। इसलिए हमारी खरीद नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। रूसी तेल पर कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है, और ट्रंप का टैरिफ प्रतिबंधों से अलग मामला है।”
35 प्रतिशत तेल रूस से
भारत अपनी कुल जरूरत का लगभग 35 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से आयात कर रहा है। युद्ध से पहले यह आंकड़ा केवल 0.2 प्रतिशत था। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारतीय कंपनियां रियायती दरों पर रूसी तेल खरीद रही हैं।
निर्भरता कम करना आसान नहीं
तेल उद्योग के जानकारों का मानना है कि रूस से तेल आयात कम करना आसान काम नहीं है। लंबे समय के अनुबंध, आपूर्ति ढांचा और बाज़ार की परिस्थितियां इसे एक जटिल प्रक्रिया बनाती हैं। केप्लर के लीड रिसर्च एनालिस्ट सुमित रितोलिया के अनुसार, “रूसी तेल खरीद घटाना स्विच दबाने जितना आसान नहीं है—यह समय और तैयारी मांगता है।”


