Trump Modi Relations: भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद अब धीरे-धीरे शांत होता नजर आ रहा है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ताजा बयानों से यह संकेत मिल रहे हैं कि दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्खी अब कम हो सकती है। हालांकि, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया 50 प्रतिशत टैक्स अभी भी लागू है।
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ट्रंप ने दिखाए दोस्ताना तेवर
व्हाइट हाउस में मीडिया से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा, “मैं हमेशा नरेंद्र मोदी का दोस्त रहूंगा। वह शानदार प्रधानमंत्री हैं, लेकिन इस समय उनके कुछ फैसले मुझे पसंद नहीं आ रहे। भारत और अमेरिका के बीच खास संबंध हैं, इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। बस कभी-कभी ऐसे पल आ जाते हैं।”
ट्रंप से सवाल पूछा गया था कि क्या वह भारत के साथ रिश्तों को सुधारने के लिए तैयार हैं, क्योंकि बीते दो दशकों में दोनों देशों के संबंध सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं।
पीएम मोदी का जवाब
ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भावनाओं और संबंधों के सकारात्मक मूल्यांकन की मैं गहराई से सराहना करता हूं और उनके प्रति भी समान भावना रखता हूं। भारत और अमेरिका के बीच बहुत सकारात्मक, दूरदर्शी, व्यापक और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है।”
रूस से तेल खरीद पर ट्रंप की नाराजगी
ट्रंप ने इस दौरान भारत के रूस से तेल खरीदने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “मुझे इस बात से बहुत निराशा है कि भारत रूस से इतना ज्यादा तेल खरीदेगा और मैंने उन्हें यह बता दिया है। हमने भारत पर बहुत ज्यादा शुल्क लगाया है, 50 प्रतिशत शुल्क। लेकिन मेरे और मोदी के बीच बहुत अच्छे रिश्ते हैं। वह बहुत अच्छे इंसान हैं और कुछ महीने पहले यहां आए भी थे।”
हाल ही में ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में लिखा था कि “लगता है हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। ईश्वर करे कि उनका भविष्य दीर्घकालिक और समृद्ध हो।” इसके साथ ही उन्होंने मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की एक पुरानी तस्वीर भी साझा की थी।
व्यापार वार्ता पर ट्रंप का बयान
जब उनसे पूछा गया कि भारत और अन्य देशों के साथ व्यापार वार्ता कैसी चल रही है, तो ट्रंप ने जवाब दिया, “वे बहुत अच्छी चल रही हैं। अन्य देश भी अच्छा कर रहे हैं। हम सभी के साथ अच्छे संबंध बना रहे हैं। हां, हम यूरोपीय संघ से नाराज हैं, क्योंकि सिर्फ गूगल ही नहीं बल्कि हमारी सभी बड़ी कंपनियों के साथ जो हो रहा है, उससे हम असंतुष्ट हैं।”
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