🕒 Published 5 months ago (12:31 PM)
हरियाणा के रोहतक में कांग्रेस नेता हिमानी नरवाल की हत्या का मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। इस मामले में मुख्य आरोपी सचिन को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है, जिसने पुलिस पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। यह मामला सोशल मीडिया के खतरों और विश्वासघात की एक दिल दहला देने वाली मिसाल है।
फेसबुक दोस्ती से शुरू हुई कहानी
पुलिस के अनुसार, हिमानी नरवाल और सचिन की दोस्ती फेसबुक के जरिए हुई थी। दोनों के बीच ऑनलाइन बातचीत हुई और जल्द ही यह दोस्ती मुलाकातों में बदल गई। सचिन अक्सर हिमानी के घर आता-जाता था, जिससे दोनों के बीच करीबी बढ़ती गई। लेकिन यह दोस्ती धीरे-धीरे शक, विवाद और गुस्से का रूप लेने लगी।

हत्या की रात: 27 फरवरी
27 फरवरी की रात सचिन हिमानी के घर पहुंचा। दोनों के बीच किसी बात को लेकर बहस हुई, जो बाद में झगड़े में बदल गई। गुस्से में आकर सचिन ने मोबाइल चार्जर की तार से हिमानी का गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी।
हत्या के बाद, सचिन ने शव को ठिकाने लगाने के लिए एक खौफनाक योजना बनाई। उसने हिमानी के शव को एक सूटकेस में डालकर उसे रोहतक के सांपला बस स्टैंड के पास फेंक दिया। यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरों में भी कैद हो गई, जिससे पुलिस को जांच में मदद मिली।
पुलिस जांच और गिरफ्तारी
1 मार्च को रोहतक के सांपला बस स्टैंड के पास एक लावारिस सूटकेस मिलने के बाद पुलिस को इसकी सूचना दी गई। जब पुलिस ने सूटकेस खोला, तो उसके अंदर हिमानी का शव पाया गया। इस सनसनीखेज हत्याकांड की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया।
सीसीटीवी फुटेज और डिजिटल सबूतों के आधार पर पुलिस ने मुख्य आरोपी सचिन को ट्रेस किया और उसे दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में सचिन ने कबूल किया कि उसने ही हिमानी की हत्या की थी।
हत्या के पीछे के कारण
पुलिस पूछताछ के दौरान यह सामने आया कि सचिन और हिमानी के बीच किसी व्यक्तिगत कारण को लेकर तनाव चल रहा था। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, सचिन हिमानी के फैसलों से नाराज था और उसने इस क्रूर कदम को उठाया।
सोशल मीडिया और अपराध: एक गंभीर चिंता
इस केस ने एक बार फिर सोशल मीडिया पर बनने वाले संबंधों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर अनजान लोगों से दोस्ती करना कई बार खतरनाक साबित हो सकता है।
हिमानी नरवाल मर्डर केस सिर्फ एक हत्या का मामला नहीं, बल्कि विश्वास और सोशल मीडिया की जटिलता का भी उदाहरण है। यह घटना हमें सतर्क रहने और ऑनलाइन संबंधों में सावधानी बरतने का संदेश देती है।
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