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शूर्पणखा की अनसुनी कहानी : शूर्पणखा एक श्रापित अप्सरा से राक्षसी तक की यात्रा

रामायण जो हमें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और माता सीता और लक्ष्मण के अलावा एक और ऐसा किरदार जिसके बारे में हम सभी बहुत अच्छे से जानते हैं। वह किरदार है शूर्पणखा आइए जानते हैं इस किरदार की कहानी जो शायद आपने ना सुनी हो।

शूर्पणखा ऋषि विश्रवा और कैकसी की बेटी

रामायण की अहम चरित्र रावण की बहन शूर्पणखा ऋषि विश्रवा और कैकसी की बेटी की संतान थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवराज इंद्र की एक अप्सरा थी जिसका नाम नयनतारा था। देवराज इंद्र ने नयनतारा को एक ऋषि जिनका नाम वज्रा था की तपस्या भंग करने के लिए भेजा था । ऋषि की तपस्या को भंग करने में नयनतारा सफल तो हो गई लेकिन उसे ऋषि के श्राप का सामना करना पड़ा। ऋषि ने नयनतारा को राक्षसी होने का श्राप दे दिया। इसके बाद नयनतारा ने ऋषि से श्राप वापस लेने के लिए काफी क्षमा याचना की। नयनतारा की क्षमा याचना से ऋषि का दिल पिंघल गया और नयनतारा से कहा कि तुम्हें प्रभु स्वयं दर्शन देकर श्राप से मुक्त करेंगे। इसलिए शूर्पणखा का जन्म श्रापवश राक्षसी कुल में हुआ था।

अपार शक्तियों की थी मालिक

राक्षस कुल में जन्म लेने के कारण शूर्पणखा को बहुत सी शक्तियां हासिल थी। वह अपना बदलने के साथ ही शक्ल का रंग और आवाज़ भी बदल लेती थी। वाल्मिकी रामायण के अनुसार शूर्पणखा का रूप-रंग बहुत ही भयानक और डरावना था। लेकिन किसी भी पौराणिक कथाओं में शूर्पणखा को कुरूप नहीं बताया गया है। कई कथाओं में शूर्पणखा नाम ‘चंद्रलखा’ बताते है  ‘चंद्रलखा’ का मतलब चांद जैसी सुंदर दिखने वाली।

 

 

 

 

 

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