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46 वर्षों बाद पुनः शुरू हुई पौराणिक 24 कोसी परिक्रमा

उत्तर प्रदेश के संभल जिले के बेनीपुरचक स्थित श्रीवंशगोपाल तीर्थ से शुक्रवार रात्रि 2 बजे पौराणिक 24 कोसी परिक्रमा धार्मिक माहौल और भव्यता के साथ शुरू हुई। यह दो दिवसीय परिक्रमा 25 और 26 अक्टूबर को चलेगी और पंचमी तिथि को वंशगोपाल तीर्थ पर समापन होगा। भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने इस परिक्रमा में भाग लिया ।

परिक्रमा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं

धार्मिक मान्यता है कि इस परिक्रमा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीव जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। यह परिक्रमा संभल की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक मानी जाती है। परिक्रमा मार्ग श्रीवंशगोपाल तीर्थ से प्रारंभ होकर भुवनेश्वर, क्षेमनाथ और चंदेश्वर तीर्थों से होते हुए पुनः वंशगोपाल तीर्थ पर लौटता है। इस मार्ग पर कुल 87 देवतीर्थ स्थित हैं।

तीर्थ का ऐतिहासिक महत्व

श्रीवंशगोपाल तीर्थ के प्रमुख स्वामी भगवत प्रिय के अनुसार, यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है, जो कुछ समय रुकी रही थी, लेकिन अब पुनः शुरू हो चुकी है। उन्होंने बताया कि लगभग 5200 वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण रुक्मिणी का हरण कर यहीं आए थे। तीर्थ परिसर में आज भी वह पवित्र कदंब वृक्ष मौजूद है, जिसके नीचे श्रीकृष्ण ने एक रात विश्राम किया था।

ब्रह्माजी के आदेश पर भगवान विश्वकर्मा ने यहां का प्राचीन मंदिर निर्मित कराया। संतान की इच्छा रखने वाले श्रद्धालु यहां पूजा करते हैं और वंशवृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, यही कारण है कि इस स्थान का नाम वंशगोपाल तीर्थ पड़ा।

सुरक्षा और प्रशासनिक इंतजाम

परिक्रमा के दौरान प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। लगभग 500 पुलिसकर्मी, दो सीओ, आठ थाना प्रभारी, सात निरीक्षक, सिटी मजिस्ट्रेट और एसडीएम सुरक्षा की कमान संभाले हुए हैं। इसके अलावा डेढ़ कंपनी पीएसी, दमकल वाहन और यातायात पुलिस अलग-अलग स्थानों पर तैनात हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा न हो।

46 वर्षों बाद पुनः परिक्रमा

1978 में सांप्रदायिक दंगों के कारण यह परंपरा रुकी हुई थी। अब योगी सरकार के प्रयासों से यह फिर से जीवित हुई है। शंखनाद, भजन और जयघोष के बीच यह परिक्रमा शुरू हुई, जो धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रद्धालुओं को मोक्ष की प्राप्ति का अवसर प्रदान करती है।

संभल की सांस्कृतिक धरोहर और बदलाव

1978 के दंगों और पलायन के बाद संभल में सामाजिक और धार्मिक जीवन प्रभावित हुआ। हिंदू परिवारों ने अपने घर, दुकानें और जमीनें छोड़ दी थी, मंदिरों पर कब्जे हुए और धार्मिक आयोजन रुक गए थे। 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद स्थिति बदल गई। सरकार ने अवैध कब्जों को हटाया, धर्मिक स्थलों का पुनरुद्धार कराया और कानून व्यवस्था मजबूत की।

अवैध कब्जों पर कार्रवाई और तीर्थस्थलों का पुनरुद्धार

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता-2006 के तहत 495 वाद दर्ज किए गए, जिनमें 243 मामलों का निस्तारण कर 1067 अतिक्रमण हटाए गए। कुल 68.94 हेक्टेयर भूमि कब्जामुक्त कराई गई। धार्मिक स्थलों और प्राचीन तीर्थों का संरक्षण और सौंदर्यीकरण किया गया।

सशक्त कानून और आर्थिक विकास

संभल में कानून का इकबाल मजबूत हुआ। 2 नए थाने और 45 नई चौकियां स्थापित की गईं। संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी निगरानी और ड्रोन सर्वे की व्यवस्था की गई। आर्थिक दृष्टि से संभल ₹2405 करोड़ के निर्यात के साथ प्रदेश में 10वें स्थान पर है। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना के तहत यहां के मेटैलिक, वुडन और हैंडीक्राफ्ट उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहचान बना रहे हैं।

संभल अब फिर से आस्था, अध्यात्म और सांस्कृतिक विरासत का केंद्र बन चुका है, और 46 वर्षों बाद शुरू हुई यह 24 कोसी परिक्रमा इसका प्रतीक है।

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