लद्दाख में हाल ही हुई हिंसा में कारगिल युद्ध के पूर्व सैनिक त्सेवांग थारचिन की मौत के बाद मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाएं हैं । राहुल गांधी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर पूर्व सैनिक त्सेवांग थारचिन की मौत पर पोस्ट करते हुए लिखा कि
“पिता फौजी, बेटा भी फौजी जिनके खून में देशभक्ति बसी है। फिर भी BJP सरकार ने देश के वीर बेटे की गोली मारकर जान ले ली, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो लद्दाख और अपने अधिकार के लिए खड़ा था।
थारचिन के पिता की दर्द भरी आंखें बस एक सवाल कर रही हैं – क्या आज देशसेवा का यही सिला है? हमारी मांग है कि लद्दाख में हुई इन हत्याओं की निष्पक्ष न्यायिक जांच होनी ही चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। मोदी जी, आपने लद्दाख के लोगों को धोखा दिया है। वो अपना हक़ मांग रहे हैं, संवाद कीजिए – हिंसा और डर की राजनीति बंद कीजिए”।
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थारचिन के पिता का दर्द
थारचिन के पिता ने भावुक होते हुए कहा कि पुलिस के SSP का बच्चा मरता वो क्या सोचता DC का बच्चा मरता वो क्या सोचता । गरीब को मारना उनको आसान लगता है ना । अगर खुद के बच्चे मरते तो क्या वो ऐसा सहेगा । वो नहीं सह सकता है हमें पता है । उन्होंने कहा कि 32 साल फौज में सर्विस की है हर मुश्किल जगह पर ड्यूटी की । ऐसी जगहों पर ड्यूटी की हैं जहां कई देशों की सीमा लगती है और तापमान भी -35 तक जाता है । पीने के लिए पानी तक नहीं होता था बर्फ को तोड़कर उसे पिंघराकर खाना बनाते थे । इन लोगों को क्या पता घर से निकलता है बाजार घूमता है । “जिन्हें ये मुश्किलें नहीं झेलनी पड़ीं, वो इनका दर्द कैसे समझेंगे?”
पिता फौजी, बेटा भी फौजी – जिनके खून में देशभक्ति बसी है।
फिर भी BJP सरकार ने देश के वीर बेटे की गोली मारकर जान ले ली, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो लद्दाख और अपने अधिकार के लिए खड़ा था।
पिता की दर्द भरी आंखें बस एक सवाल कर रही हैं – क्या आज देशसेवा का यही सिला है?
हमारी मांग है कि… pic.twitter.com/cJqKstISjg
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 30, 2025
कौन थे त्सेवांग थारचिन?
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कारगिल युद्ध के वीर सैनिक, उम्र 46 साल।
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समय से पहले सेना से रिटायर होकर गारमेंट की दुकान चलाते थे।
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24 सितंबर को लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग वाले प्रदर्शन में शामिल हुए थे।
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हिंसा बढ़ने पर हालात बेकाबू हो गए और पुलिस फायरिंग में उनकी जान चली गई।
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वह उन चार लोगों में से एक थे, जिनकी मौत 24 सितंबर को लद्दाख विरोध प्रदर्शनों में पुलिस की गोलीबारी से हुई।
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10 सितंबर से लेह एपेक्स बॉडी की ओर से जारी प्रदर्शनों में सक्रिय रूप से हिस्सा ले रहे थे।
 


