🕒 Published 2 months ago (1:27 PM)
मुंबई: विले पार्ले स्थित 35 साल पुराने पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर को बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) द्वारा ध्वस्त किए जाने के बाद जैन समाज में भारी आक्रोश फैल गया। शनिवार को बड़ी संख्या में जैन समुदाय के लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। हालांकि, बीएमसी द्वारा ध्वस्तीकरण स्थल पर पूजा की अनुमति दिए जाने के बाद प्रदर्शन को समाप्त कर दिया गया।
BMC ने बताया अवैध, कोर्ट में लंबित थी सुनवाई
बीएमसी का कहना है कि यह मंदिर अवैध निर्माण श्रेणी में आता है और मंदिर प्रबंधन को पहले ही नोटिस जारी किया गया था। बीएमसी ने चेतावनी दी थी कि यदि ढांचा स्वेच्छा से नहीं हटाया गया, तो बलपूर्वक कार्रवाई की जाएगी।
मंदिर ट्रस्ट ने इस कार्रवाई के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसकी सुनवाई गुरुवार को होनी थी। लेकिन बीएमसी ने कोर्ट की सुनवाई से एक दिन पहले ही बुधवार को मंदिर पर बुलडोज़र चला दिया। इससे जैन समाज में जबरदस्त नाराज़गी फैल गई।
प्रदर्शन के बीच मिली पूजा की अनुमति
बीएमसी की कार्रवाई से नाराज़ जैन समाज के लोगों ने मंदिर स्थल पर पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। हालांकि, प्रशासन ने पूजा की अनुमति देने का आश्वासन दिया, जिसके बाद प्रदर्शन को समाप्त कर दिया गया।
आदित्य ठाकरे का सरकार पर हमला
इस घटना को लेकर शिवसेना (यूबीटी) नेता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने राज्य सरकार और बीएमसी को जमकर घेरा। उन्होंने सवाल उठाया कि जब बीएमसी सीधे मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री के अधीन है, तो मंदिर को क्यों नहीं बचाया गया।
उन्होंने राज्य के गार्जियन मंत्री पर भी निशाना साधते हुए कहा कि “वे केवल दिखावा कर रहे हैं। उनके खुद के कार्यालय भी अवैध निर्माणों में शामिल हैं, फिर भी मंदिर पर चुप्पी क्यों है?”
धार्मिक स्थलों को लेकर दोहरा रवैया?
इस पूरे घटनाक्रम के बाद कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। क्या सभी धार्मिक स्थलों के साथ समान व्यवहार किया जा रहा है? क्या सरकार की मंशा पारदर्शी है? और क्या कोर्ट की सुनवाई का इंतजार किए बिना कार्रवाई करना उचित था?
जवाबदेही की मांग के साथ जैन समाज के लोग अब इस मुद्दे पर स्पष्टता चाहते हैं और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं।