Telangana Tunnel Collapse: रेस्क्यू में बाढ़ बनी बाधा, मजदूरों की जान खतरे में

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By Pragati Tomer

🕒 Published 5 months ago (5:47 AM)

तेलंगाना टनल हादसा: तीन दिन बीतने के बाद भी 8 मजदूरों का कोई सुराग नहीं

Telangana Tunnel Collapse: तेलंगाना के नागरकुर्नूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल हादसे को तीन दिन से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अब तक फंसे हुए 8 मजदूरों को सुरक्षित निकालने का प्रयास सफल नहीं हो पाया है। Telangana Tunnel Collapse का यह मामला बेहद संवेदनशील हो गया है, जहां हर गुजरते घंटे के साथ स्थिति और भी भयावह होती जा रही है।

हादसे का कारण और मौजूदा हालात

शनिवार, 22 फरवरी को तेलंगाना के SLBC टनल का एक हिस्सा गिरने से यह गंभीर घटना घटी। Telangana Tunnel Collapse की वजह से टनल के भीतर मजदूर फंस गए। तब से लेकर अब तक बचाव कार्य लगातार जारी है, लेकिन अब तक मजदूरों तक पहुंचने में कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है। टनल में बढ़ते मलबे और पानी की वजह से हर बचाव प्रयास को नया खतरा पैदा हो रहा है।

टनल के अंदर हर मिनट लगभग 3200 लीटर पानी घुस रहा है, जिससे वहां का माहौल बेहद चुनौतीपूर्ण बन गया है। कीचड़ और मलबे के बढ़ते आकार से बचाव कार्य में भारी दिक्कतें आ रही हैं। बचाव दलों की स्थिति टनल के अंदर से मजदूरों तक पहुंचने में सिर्फ 50 मीटर की दूरी पर है, लेकिन मलबे की दीवार हर पल बढ़ती जा रही है।

विशेषज्ञों का डर: बचाव कार्य में जोखिम बढ़ता जा रहा

विशेषज्ञों का कहना है कि Telangana Tunnel Collapse के दौरान टनल की स्थिरता अब खतरे में है, और किसी भी प्रकार की और खुदाई से बचाव कर्मियों की जान खतरे में पड़ सकती है। इसी कारण विशेषज्ञों ने गहराई से खुदाई करने का सुझाव नहीं दिया है। इसके अलावा, टनल के अंदर की स्थिति का अंदाजा लगाने के लिए एंडोस्कोपिक और रोबोटिक कैमरों का उपयोग किया जा रहा है।

बचाव कार्य को और प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकार ने नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से टनल की स्थिति की जांच के लिए भू-सर्वेक्षण डेटा मांगा है। विशेषज्ञों की एक टीम ने टनल के अंदर से सैंपल इकट्ठा किए हैं और इन्हें लैब में भेजा गया है। इसके आधार पर ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी।

Telangana Tunnel Collapse

मजदूरों की खोज जारी: मोबाइल सिग्नल से लोकेशन ट्रैकिंग

फंसे हुए मजदूरों के मोबाइल फोन सिग्नल के आधार पर उनके संभावित स्थानों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, अभी तक कोई ठोस जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। इस Telangana Tunnel Collapse के मामले में 584 विशेष प्रशिक्षित कर्मी और 14 ‘रैट-होल माइनर्स’ को भी लगाया गया है, जो तंग और संकरे स्थानों में काम करने में निपुण होते हैं। इसके अलावा स्निफर डॉग स्क्वाड की मदद भी ली जा रही है ताकि मजदूरों के सही स्थान का पता लगाया जा सके।

क्या हो रही हैं रुकावटें?

Telangana Tunnel Collapse के बाद से बचाव कार्य में कई दिक्कतें आ रही हैं। सबसे बड़ी समस्या पानी और मलबे के लगातार बढ़ते रहने की है। बचाव दल टनल के अंदर से पानी निकालने में लगे हैं, लेकिन इस काम में अब तक सफलता नहीं मिली है। इसके अलावा, टनल के अंदर कीचड़ और मलबे का बढ़ता आकार भी बड़ी समस्या बना हुआ है।

विशेषज्ञों की एक और बड़ी चिंता यह है कि टनल अस्थिर है और किसी भी बड़े कदम से वहां और बड़ा हादसा हो सकता है। बचाव कार्यों के लिए जरूरी उपकरणों की स्थिति भी खराब हो रही है। एनडीआरएफ टीम के लिए उपयोग में आ रही कन्वेयर बेल्ट की भी हालत गंभीर हो गई है और इसके टूटने का डर बढ़ गया है। इसकी मरम्मत का काम शुरू हो गया है, लेकिन इससे बचाव कार्य में और देरी हो रही है।

सरकारी एजेंसियों का प्रयास और तकनीकी मदद

Telangana Tunnel Collapse के मामले में तकनीकी मदद के लिए नेशनल रिमोट सेंसिंग एजेंसी और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से भी मदद ली जा रही है। इसके अलावा, एलएंडटी की टीम ने एंडोस्कोपिक और रोबोटिक कैमरों की मदद से टनल के अंदर की स्थिति जानने की कोशिश की है। सरकार ने भू-सर्वेक्षण डेटा मांगा है ताकि किसी अन्य दुर्घटना की संभावना को टाला जा सके।

मजदूरों के बचने की संभावना कम

जैसे-जैसे समय बीत रहा है, मजदूरों के जिंदा बचने की संभावना कम होती जा रही है। तेलंगाना के मंत्री जे कृष्णा राव ने कहा है कि Telangana Tunnel Collapse के हादसे में मजदूरों के बचे होने की उम्मीद न के बराबर है। हालांकि, बचाव दल अभी भी हर संभव प्रयास कर रहा है ताकि फंसे हुए मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।

दुर्घटना से सबक: सुरक्षा उपायों की कमी

Telangana Tunnel Collapse से यह साफ होता है कि टनल निर्माण कार्यों में सुरक्षा के उपायों की कमी है। ऐसी परियोजनाओं में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन न करने की वजह से कई मजदूरों की जान जोखिम में पड़ जाती है। इस हादसे से सीख लेते हुए भविष्य में ऐसे दुर्घटनाओं से बचने के लिए और सख्त सुरक्षा नियमों को लागू करना आवश्यक हो जाएगा।

उम्मीदें और चुनौतियाँ

Telangana Tunnel Collapse के मामले में बचाव कार्य अभी भी जारी है, और मजदूरों के सुरक्षित बाहर निकलने की उम्मीदें धीरे-धीरे कम हो रही हैं। बचाव दल और विशेषज्ञ पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मलबा, पानी और टनल की अस्थिर स्थिति उनके प्रयासों में लगातार बाधा डाल रही है।

इस दुर्घटना से जुड़ी खबरें देशभर में सुर्खियों में बनी हुई हैं। उम्मीद की जा रही है कि जल्द से जल्द मजदूरों को बाहर निकालने का कोई सुरक्षित तरीका निकाला जाएगा, लेकिन अब यह समय ही बताएगा कि यह हादसा किस तरह से समाप्त होता है।

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