🕒 Published 2 months ago (8:24 PM)
तेलंगाना में एससी गुरुकुल स्कूलों के छात्रों को शौचालय और हॉस्टल के कमरों की सफाई करने के निर्देश को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस मामले में IAS अधिकारी डॉ. वी. एस. आलागु वर्षिणी के खिलाफ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने कार्रवाई करते हुए राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी किया है। आयोग ने 15 दिनों के भीतर इस मामले में विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।
विवाद की जड़ एक वायरल ऑडियो क्लिप है, जिसमें TGSWREIS (तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेसिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स सोसायटी) की सचिव डॉ. आलागु वर्षिणी छात्रों को खुद अपने कमरे और शौचालय की सफाई करने को कहती सुनाई दे रही हैं। क्लिप में उन्होंने कहा कि ये छात्र अमीर परिवारों से नहीं आते, इसलिए उन्हें आत्मनिर्भरता सीखनी चाहिए और दैनिक कार्यों की जिम्मेदारी स्वयं उठानी चाहिए।
विपक्ष का तीखा हमला
भारत राष्ट्र समिति (BRS) के वरिष्ठ नेता और TGSWREIS के पूर्व सचिव डॉ. आर. एस. प्रवीन कुमार ने इस टिप्पणी को जातिगत भेदभाव करार देते हुए सवाल उठाया – “क्या मुख्यमंत्री के बच्चे भी स्कूल में बाथरूम साफ करते हैं?” उन्होंने इस बयान को दलित छात्रों के सम्मान के खिलाफ बताया और अधिकारी को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की।
BRS की एमएलसी और पूर्व सांसद कलवकुंतला कविता ने भी कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए X पर वायरल ऑडियो क्लिप साझा की। उन्होंने आरोप लगाया कि BRS शासन में हर स्कूल को सफाई कर्मचारियों के लिए ₹40,000 प्रतिमाह दिए जाते थे, लेकिन कांग्रेस सरकार ने मई से यह सुविधा बंद कर दी है, जिससे बच्चों पर सफाई और रसोई जैसे कामों का बोझ आ गया है।
बच्चों के अधिकारों पर हमला: कविता
कलवकुंतला कविता ने दावा किया कि राज्य के 240 गुरुकुल स्कूलों से सहायक वार्डन हटा लिए गए हैं। इससे छात्रों को पढ़ाई के साथ-साथ रसोई और साफ-सफाई जैसे काम भी खुद करने पड़ रहे हैं। उन्होंने इसे बच्चों के अधिकारों और गरिमा के खिलाफ बताया और कहा कि यह जातिगत भेदभाव व शोषण को बढ़ावा देने वाली मानसिकता है।
IAS अधिकारी वर्षिणी की सफाई
डॉ. आलागु वर्षिणी ने एक ऑडियो संदेश जारी कर सफाई दी कि उनका बयान आत्मनिर्भरता को लेकर था और मीडिया उनके बयान को संदर्भ से हटकर न देखे। उन्होंने सफाई कर्मियों की कमी को नकारते हुए कहा कि बच्चों को छोटी उम्र से घर के कामों में हाथ बंटाने की आदत होनी चाहिए, जिससे वे भविष्य में किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि यह बदलाव एक प्रक्रिया है, जिसे धीरे-धीरे अपनाया जाना चाहिए।