Tej Pratap Yadav… यानी लालू यादव के बड़े बेटे और बिहार की राजनीति की वो शख्सियत, जो जितनी चर्चा में अपने बयानों के लिए रहते हैं, उससे कहीं ज्यादा सुर्खियों में रहते हैं अपने बगावती तेवरों के लिए। रविवार को तेज प्रताप ने एक भावुक सोशल मीडिया पोस्ट किया और उसमें अपने मम्मी-पापा यानी लालू-राबड़ी को भगवान से भी ऊपर बताया। लेकिन इसी पोस्ट में उन्होंने कुछ ऐसे ‘जयचंद जैसे लालची लोगों’ पर निशाना साधा, जिसने बिहार की सियासत को हिला दिया है। सवाल ये कि तेज प्रताप के निशाने पर आखिर हैं कौन? और क्या ये बगावत महज निजी नहीं बल्कि सियासी भी है? आइए समझते हैं।
रविवार की सुबह तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट डाला। लिखा— “मेरे प्यारे मम्मी-पापा… मेरी सारी दुनिया आप दोनों में ही समाई है… आप हैं तो सब कुछ है मेरे पास… मुझे बस आपका प्यार और विश्वास चाहिए… ना कि राजनीति करने वाले कुछ जयचंद जैसे लालची लोग।”
इस पोस्ट के आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई। तेज प्रताप ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन सवाल उठने लगे कि क्या उनका इशारा अपने ही छोटे भाई तेजस्वी यादव के करीबियों की तरफ है?
दरअसल, ये पहला मौका नहीं है जब तेज प्रताप यादव ने ऐसे इशारों में वार किया हो। इससे पहले भी वे कई बार पार्टी के भीतर ‘हरियाणा से आए लोगों’ यानी संजय यादव पर निशाना साध चुके हैं। संजय यादव, जो तेजस्वी यादव के सबसे करीबी माने जाते हैं, और जिन्हें लेकर तेज प्रताप ने पहले भी कहा था कि ये लोग लालू परिवार में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं।
अब बात करते हैं उन घटनाओं की जिसने तेज प्रताप के अंदर की नाराजगी को और हवा दी। जब तेज प्रताप को स्वास्थ्य मंत्री जैसे अहम मंत्रालय से हटाकर पर्यावरण मंत्री बना दिया गया और तेजस्वी को दोबारा उपमुख्यमंत्री, तब से ही माना जा रहा था कि तेज प्रताप खुद को साइडलाइन महसूस कर रहे हैं।
तेज प्रताप की छवि को लेकर भी हाल ही में विवाद बढ़ा। 24 मई को एक युवती के साथ उनकी तस्वीर वायरल हुई, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें मर्यादा भंग करने का दोषी ठहराया और पार्टी से निष्कासित कर दिया। खुद लालू यादव ने तेज प्रताप को घर से बाहर कर दिया और तेजस्वी ने बयान देकर साफ कर दिया कि उन्हें ऐसे किसी बर्ताव की इजाजत नहीं दी जाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम को अगर चुनावी साल के नजरिए से देखा जाए, तो एक बात साफ हो जाती है— तेजस्वी अब अपनी राह से किसी भी रुकावट को हटाने के मूड में हैं। पार्टी के अंदर की कलह और तेज प्रताप की बिगड़ती छवि से राजद को नुकसान हो सकता था, इसलिए उन्हें किनारे कर देना एक सियासी मजबूरी बन गई।
तो तेज प्रताप यादव का ये ‘जयचंद’ वाला बयान सिर्फ एक इमोशनल पोस्ट नहीं, बल्कि एक बड़ा सियासी संकेत है— पार्टी में चल रही अंदरूनी खींचतान का, भाईयों के बीच गहराते मतभेद का और आने वाले बिहार चुनाव की बिसात पर बिछाई जा रही चालों का। अब देखना ये होगा कि तेज प्रताप आगे क्या कदम उठाते हैं— क्या वो अपनी खुद की पार्टी बनाएंगे या निर्दलीय चुनावी रण में उतरेंगे? लेकिन एक बात तय है… तेज प्रताप की ये बगावत आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति को और दिलचस्प बनाने वाली है।
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