Tahawwur Rana Extradition
Tahawwur Rana Extradition : मुंबई हमले के षड्यंत्रकारियों में से एक और आतंकी डेविड हेडली के सहयोगी तहव्वुर राणा को भारत लाने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बुधवार को उसके भारत पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। लंबे समय से भारत उसके प्रत्यर्पण की कोशिशों में जुटा था, जो अब सफल होती दिख रही है। राणा, जो पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, लश्कर-ए-तैयबा का सक्रिय सदस्य रह चुका है।
मुंबई और दिल्ली की जेलों में बढ़ाई गई सुरक्षा
राणा के भारत आगमन को लेकर दिल्ली और मुंबई की जेलों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बताया जा रहा है कि उसे भारत लाने के तुरंत बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया जाएगा। एनआईए उसे कुछ हफ्तों तक हिरासत में रखकर पूछताछ करेगी।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा का नाम 26/11 मुंबई हमलों की साजिश में प्रमुख रूप से सामने आया था। वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के संपर्क में था और उसने आतंकी डेविड हेडली की भारत यात्रा में मदद की थी। राणा ने मुंबई हमले के दौरान मारे गए आतंकियों को पाकिस्तान में मरणोपरांत सैन्य सम्मान देने की मांग भी की थी।
अमेरिका में काट चुका है 13 साल की सजा
अमेरिकी जांच एजेंसियों ने साल 2009 में डेविड हेडली को गिरफ्तार किया था। तहव्वुर राणा को भी 2011 में दोषी ठहराया गया और 13 साल की जेल की सजा सुनाई गई। वह फिलहाल लॉस एंजिलिस के मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद था, लेकिन अब उसे भारत प्रत्यर्पित किया जा रहा है।
ट्रंप ने किया था भारत प्रत्यर्पण का वादा
भारत सरकार 2019 से तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही थी। पीएम नरेंद्र मोदी की फरवरी में अमेरिकी यात्रा के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राणा को भारत भेजने का ऐलान किया था। इस पूरे ऑपरेशन की निगरानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह मंत्रालय कर रहे हैं।
मुंबई हमलों से ठीक पहले भारत आया था राणा
जांच में सामने आया है कि तहव्वुर राणा हमले से कुछ दिन पहले मुंबई आ चुका था। 11 से 21 नवंबर 2008 तक वह पवई के रेनेसां होटल में ठहरा था। उसके जाने के पांच दिन बाद, यानी 26 नवंबर को मुंबई आतंकवादियों के हमलों से दहल उठा।
26/11 हमले में गई थी 166 लोगों की जान
26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई पर समन्वित हमला किया था। समुद्र के रास्ते आए आतंकियों ने ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और लियोपोल्ड कैफे को निशाना बनाया। इस हमले में 166 निर्दोष नागरिकों की जान गई, जिनमें 18 सुरक्षाकर्मी भी शामिल थे।
अब भारत में होगा आतंक के मास्टरमाइंड का सच उजागर!
भारत आने के बाद तहव्वुर राणा से एनआईए, आईबी और अन्य सुरक्षा एजेंसियां कड़ी पूछताछ करेंगी। उनसे यह पता लगाने की कोशिश होगी कि 26/11 हमले की साजिश में और कौन-कौन शामिल था, और क्या पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने उसे कोई और आतंकी मिशन सौंपा था। अब देखना होगा कि इस आतंकी के भारत आने के बाद कौन-कौन से बड़े खुलासे होते हैं।
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