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हिंदू धर्म का रहस्य: रुद्राक्ष और जापमाला में होते हैं 108 मनके, आखिर 108 का इतना महत्त्व क्यों?

हिंदू धर्म और सनातन परंपरा में 108 कोई सामान्य संख्या नहीं है, बल्कि यह एक दिव्य विज्ञान, आध्यात्मिक ऊर्जा और ब्रह्मांडीय रहस्य का प्रतीक मानी जाती है। चाहे रुद्राक्ष की माला हो, जापमाला हो या योगासन की गिनती — 108 हर जगह किसी न किसी रूप में उपस्थित रहता है। आखिर इस संख्या का इतना महत्व क्यों है? गणित और ज्योतिष में छिपा रहस्य वैदिक गणित और ज्योतिष के अनुसार, 108 का महत्व संख्यात्मक दृष्टि से भी गहरा है। 12 राशियाँ और 9 ग्रह – जब इन दोनों का गुणन किया जाता है (12 × 9), तो प्राप्त संख्या 108 होती है। यह विश्वास किया जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर 108 प्रकार की ऊर्जाएं या प्रभाव काम करते हैं, जो उसके भाग्य और कर्म को प्रभावित करते हैं। ब्रह्मांडीय विज्ञान और खगोलीय रहस्य खगोलशास्त्र से जुड़े तथ्यों के अनुसार, सूर्य और चंद्रमा पृथ्वी से लगभग 108 गुना दूरी पर स्थित हैं, उनकी तुलना उनके अपने व्यास से की जाए तो: सूर्य की दूरी ≈ 108 × सूर्य का व्यास चंद्रमा की दूरी ≈ 108 × चंद्रमा का व्यास यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सूक्ष्म ब्रह्मांडीय संतुलन है, जो पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए अनिवार्य है। योग, ध्यान और ऊर्जा का संतुलन योगशास्त्र के अनुसार, मानव शरीर में 108 प्रमुख नाड़ियाँ होती हैं, जो अनाहत चक्र (हृदय) में जाकर मिलती हैं। जब कोई साधक 108 मनकों वाली जापमाला से मंत्रों का जप करता है, तो माना जाता है कि वह इन सभी ऊर्जा मार्गों को सक्रिय कर लेता है, जिससे शरीर, मन और आत्मा तीनों में संतुलन और जागरूकता आती है। 108: पूर्णता का प्रतीक 108 मनकों के साथ मंत्र जाप करना साधना की पूर्णता और आत्मिक एकाग्रता का संकेत माना जाता है। यह संख्या ध्यान की गहराई, गणना की सटीकता और आध्यात्मिक पूर्णता का प्रतीक बन चुकी है। निष्कर्ष हिंदू धर्म में 108 केवल एक संख्या नहीं, बल्कि धर्म, विज्ञान, ज्योतिष, खगोल और योग का मिलाजुला स्वरूप है। यह मानव जीवन और ब्रह्मांड के बीच के गहरे संबंध को दर्शाता है, जिसे आज भी संत, योगी और साधक अपनी साधना का केंद्र बनाते हैं।

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Gemstones : बार-बार सोचने की आदत से हैं परेशान? जानिए वो 7 रत्न जो मन को शांति और निर्णय की शक्ति देते हैं..

Gemstones : क्या आप हर बात को बार-बार सोचते हैं? निर्णय लेने में हिचकते हैं या फिर आपका मन हर वक्त किसी न किसी उलझन में डूबा रहता है? अगर हां, तो वैदिक ज्योतिष और रत्न विज्ञान में इसका समाधान हो सकता है। कुछ विशेष रत्न ऐसे माने जाते हैं जो मन को स्थिर करने, चिंता को कम करने और आत्मविश्वास को मजबूत करने में सहायक होते हैं। हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि हर रत्न हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं होता। रत्न पहनने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से कुंडली की जांच जरूर करवा लेनी चाहिए। आइए जानते हैं उन 7 चमत्कारी रत्नों के बारे में जो मानसिक शांति और स्पष्टता देने में मददगार साबित हो सकते हैं: 1. नीलम (ब्लू सफायर) शनि ग्रह से जुड़ा यह शक्तिशाली रत्न सोच को संतुलित करता है और मानसिक स्पष्टता लाता है। 2. पुखराज (येलो सफायर) बृहस्पति ग्रह का यह रत्न आत्मविश्वास बढ़ाता है और सोच को सकारात्मक बनाता है। 3. मोती (पर्ल) चंद्र ग्रह से जुड़ा यह रत्न भावनात्मक अस्थिरता को दूर कर मन को शांति प्रदान करता है। 4. एमेथिस्ट यह अर्ध-कीमती रत्न तनाव और उलझनों को कम करता है। ध्यान और मेडिटेशन में उपयोगी माना जाता है। 5. गोमेद (हेसोनाइट) राहु से संबंधित यह रत्न भ्रम और नकारात्मक विचारों को दूर करने में सहायक होता है। 6. लाल मूंगा (रेड कोरल) मंगल ग्रह से जुड़ा यह रत्न आत्मबल और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है। 7. सिट्रीन यह बृहस्पति ग्रह का एक किफायती विकल्प है जो ऊर्जा और स्पष्ट सोच प्रदान करता है। अगर आप मानसिक शांति की तलाश में हैं और बार-बार सोचने की आदत से परेशान हैं, तो उपयुक्त रत्न आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं — लेकिन ज्योतिषीय सलाह के बिना कोई भी रत्न न पहनें।

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