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भारत ही मेरा घर है, मैं वापस नहीं जाना चाहती’, भारत में रहने की गुहार: पाकिस्तानी नागरिकों की दर्दभरी दास्तां

भारत सरकार द्वारा हाल ही में लिए गए फैसले के बाद देश में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को लौटने का आदेश दिया गया है, जिससे सैकड़ों परिवारों की जिंदगियों में भूचाल आ गया है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने यह सख्त कदम उठाया है। आदेश के तहत शॉर्ट-टर्म वीजा पर भारत आए पाकिस्तानी नागरिकों को वापस उनके देश भेजा जा रहा है। भारत में बस चुकीं पाकिस्तानी महिलाएं कर रहीं अपील बुलंदशहर के खुर्जा कस्बे में रहने वाली मरियम, जो इस्लामाबाद की रहने वाली हैं, अब भारत को ही अपना घर मान चुकी हैं। उन्होंने बताया कि उनकी शादी भारतीय नागरिक आमिर से तीन साल पहले हुई थी और वे दो महीने पहले भारत शॉर्ट-टर्म वीजा पर आई थीं। मरियम कहती हैं, “जहां मेरा पति है, वही मेरा घर है। मैं वापस पाकिस्तान नहीं जाना चाहती।” मरियम जैसी कई अन्य पाकिस्तानी महिलाएं भी इसी असमंजस से जूझ रही हैं। बुलंदशहर से ही चार अन्य महिलाओं को हाल ही में पाकिस्तान भेजा जा चुका है। अलग हो रहे हैं परिवार दिल्ली में एक पाकिस्तानी नागरिक नबीला के दो बच्चे जैनब और जेनिश भारत में हैं, लेकिन अब उन्हें पाकिस्तान लौटने को कहा गया है। बच्चों ने सरकार से अपील की है कि उनकी मां, जिनके पास भारतीय पासपोर्ट है, को भी उनके साथ पाकिस्तान भेजा जाए। 17 साल से भारत में रह रहे अब्दुल वहीद का वीजा एक्सपायर हो गया था और उन्हें श्रीनगर से पाकिस्तान भेजा जा रहा था, लेकिन डिपोर्ट किए जाने से पहले उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई। नागरिकता की राह में सालों की इंतज़ार कश्मीर में करीब 40 साल से रह रहीं परवीन का कहना है कि वह अब भारत से कहीं नहीं जा सकतीं। उनके पति और परिवार के अधिकतर सदस्य अब इस दुनिया में नहीं हैं, और पाकिस्तान में उनका कोई नहीं है। इसी तरह सियालकोट की एक महिला, जिनकी शादी 15 साल पहले जम्मू-कश्मीर में हुई थी, का कहना है कि वे घूमने नहीं, रहने के लिए आई थीं। उन्होंने तीन महीने पहले लॉन्ग टर्म वीजा के लिए आवेदन भी किया था लेकिन फैसला नहीं हुआ। दिल्ली की महिलाएं और बच्चे फंसे बॉर्डर पर कराची की एक महिला, जिनकी शादी दिल्ली में हुई थी, अपने 8 साल के बेटे को छोड़कर पाकिस्तान नहीं जाना चाहतीं। उन्होंने भी वीजा के लिए आवेदन किया है लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया। वे कहती हैं, “जिन्होंने हमला किया उन्हें सजा मिलनी चाहिए, लेकिन हम बेगुनाहों को क्यों सजा दी जा रही है?” मोनिका रजानी, एक हिंदू महिला जो लॉन्ग टर्म वीजा और NORI पास रखती हैं, पांच साल की बेटी के साथ बॉर्डर पर हैं। वह विजयवाड़ा में अपने ससुराल जाना चाहती हैं। इंदौर में रिश्तेदारों से मिलने आए सुरेश कुमार, जो अपनी मां को हरिद्वार गंगा स्नान कराने लाए थे, अब बॉर्डर पर फंसे हैं और वापसी को मजबूर हैं। कई भारतीय भी पाकिस्तान नहीं जा पा रहे दिल्ली की शरमीन, जो भारतीय नागरिक हैं, अपने पाकिस्तानी पति और बच्चों के पास जाना चाहती हैं, लेकिन बॉर्डर बंद होने के कारण अटारी पर फंसी हुई हैं। एक अन्य महिला, जो 18 साल पहले पाकिस्तान में शादी कर भारत में आ बसी थीं, अब अपने बच्चों के पास लौटना चाहती हैं, लेकिन उन्हें भी इंतजार करना पड़ रहा है। अब तक 900 से अधिक पाकिस्तानी लौटे सरकार ने फिलहाल राहत देते हुए अटारी-वाघा बॉर्डर को अगले आदेश तक खुला रखा है। पहले यह सीमा 30 अप्रैल को बंद होने वाली थी, लेकिन अब पाकिस्तानी नागरिक तब तक लौट सकेंगे जब तक नया आदेश नहीं आता। आंकड़ों के अनुसार, अब तक 926 पाकिस्तानी नागरिक भारत से लौट चुके हैं जबकि 1841 भारतीय भी पाकिस्तान से अपने वतन वापस आ चुके हैं।

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Haryana से 460 पाकिस्तानियों की वापसी: आज शाम तक की डेडलाइन, जो नहीं जाएंगे उन्हें जबरन निकाला जाएगा

Haryana : हरियाणा में रविवार शाम 6 बजे तक पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी पूरी हो गई है। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने स्पष्ट कर दिया था कि जो पाकिस्तानी नागरिक खुद से नहीं जाएंगे, उन्हें जबरन निकाला जाएगा। पुलिस और CID की टीमें राज्यभर में सक्रिय हो गई हैं और सरकार के पास 460 पाकिस्तानी नागरिकों की सूची है, जिन पर अब कानूनी कार्रवाई तय मानी जा रही है। CG News : 460 पाकिस्तानी नागरिकों की सूची गृह विभाग और CID को इस अभियान की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। इनमें से अधिकांश नागरिक 25 से 30 साल से हरियाणा में रह रहे हैं। इन नागरिकों में बड़ी संख्या पाकिस्तानी हिंदू नागरिकों की है, जिन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया था, लेकिन अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। इन नागरिकों के ठिकानों की पहचान पहले ही कर ली गई है और अब पुलिस इन स्थानों पर कार्रवाई करने के लिए तैयार है। फरीदाबाद में सबसे ज्यादा पाकिस्तानी नागरिक फरीदाबाद जिले में सर्वाधिक 214 पाकिस्तानी नागरिक रह रहे हैं। यहां पुलिस ने शनिवार को फ्लैग मार्च किया और सरकार की योजना के बारे में लोगों को जानकारी दी। फरीदाबाद के चार पाकिस्तानी नागरिकों, जो मेडिकल वीजा पर अस्पताल में इलाज करा रहे थे, उन्हें भी तुरंत भारत छोड़ने का अल्टीमेटम दिया गया। मोहाली में सख्त चेतावनी मुख्यमंत्री नायब सैनी ने मोहाली दौरे के दौरान मीडिया को जानकारी दी कि राज्य में पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगर कोई पाकिस्तानी नागरिक वीजा के बावजूद राज्य में मौजूद हो, तो उसे पकड़कर वापस भेजा जाए। केंद्र से निर्देश यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर शुरू हुई। गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं मुख्यमंत्री सैनी से बात की और हरियाणा में पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई को तेज करने को कहा। इसके बाद ही राज्य सरकार ने इन नागरिकों की पहचान शुरू की और उन्हें स्वयं देश छोड़ने का मौका दिया। छूट पाने वाले नागरिक कुछ श्रेणियों को वतन वापसी से अस्थायी राहत दी गई है, जैसे कि जिनके पास लांग टर्म वीजा, राजनयिक या आधिकारिक वीजा है। इसके अलावा, जिनके पास SAARC वीजा, बिजनेस वीजा, फिल्म वीजा, छात्र वीजा, पर्यटक वीजा जैसे अन्य वैध वीजा हैं, उन्हें भी राहत मिली है। मेडिकल वीजा पर आए नागरिकों को 29 अप्रैल तक की छूट दी गई है, लेकिन सरकार इस पर भी सख्त नजर रखे हुए है। हिसार से 15 पाकिस्तानी नागरिक दिल्ली कैंप भेजे गए हिसार से 15 सदस्यीय पाकिस्तानी परिवार को पहले ही दिल्ली के शरणार्थी कैंप भेजा गया है। यह परिवार लंबे समय से वीजा विस्तार के लिए इंतजार कर रहा था और अब अगले कदम के तहत उन्हें पाकिस्तान भेजने की योजना बनाई जा रही है। पाकिस्तानी हिंदू नागरिकों के लिए चुनौती 460 पाकिस्तानी नागरिकों में अधिकांश हिंदू हैं, जिन्होंने भारत में स्थायी रूप से बसने के लिए नागरिकता की आवेदन की थी, लेकिन यह मामला अफसरशाही और सुरक्षा जांच के कारण लटका हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र सरकार को इन नागरिकों के लिए स्थायी समाधान ढूंढने की आवश्यकता है, क्योंकि इनमें से कई के बच्चे भारतीय समाज का हिस्सा बन चुके हैं।  

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