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अमेरिका का बड़ा बयान : भारत-पाकिस्तान का संघर्ष विराम कभी भी टूट सकता है

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव को लेकर अमेरिका की प्रतिक्रिया सामने आई है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने कहा कि उनका देश भारत और पाकिस्तान की सीमा पर हालात पर लगातार नजर बनाए हुए है, क्योंकि संघर्ष विराम किसी भी वक्त टूट सकता है। रोजाना मॉनिटरिंग कर रहा है अमेरिका रूबियो ने अमेरिकी टीवी चैनल ‘एनबीसी न्यूज’ के एक कार्यक्रम में कहा कि युद्ध-विराम बनाए रखना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है। उन्होंने कहा, “युद्ध-विराम का मतलब है कि दोनों पक्ष गोलीबारी रोकने पर सहमत हों। लेकिन असली मुश्किल इसे लंबे समय तक बनाए रखने की होती है। अमेरिका हर रोज भारत-पाकिस्तान और अन्य देशों के हालात की निगरानी करता है।” स्थायी शांति समझौते की जरूरत अमेरिकी विदेश मंत्री के अनुसार, युद्ध-विराम अक्सर जल्द टूट जाते हैं। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य केवल अस्थायी युद्ध-विराम नहीं बल्कि स्थायी शांति समझौते तक पहुंचना है, ताकि भविष्य में युद्ध जैसी स्थिति दोबारा न बने।” ट्रंप का दावा फिर दोहराया गया रूबियो ने एक और इंटरव्यू में हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य टकराव का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार यह दावा कर चुके हैं कि उनकी कोशिशों से दोनों देशों के बीच तनाव कम हुआ और संघर्ष रुक सका। शांति बहाली पर जोर रूबियो ने कहा, “हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हमारे पास ऐसा नेतृत्व रहा जिसने शांति को प्राथमिकता दी। हमने यह प्रयास कंबोडिया-थाईलैंड, भारत-पाकिस्तान और अफ्रीकी देशों जैसे रवांडा व डीआरसी में देखा है। आगे भी अमेरिका हर मौके का इस्तेमाल करेगा ताकि दुनिया में शांति कायम रह सके।”

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Parliament Monsoon Session LIVE : एस जयशंकर का तीखा जवाब: “कान खोलकर सुन लें”

नई दिल्ली: राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर हुई चर्चा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विपक्ष को सीधे निशाने पर लिया। उन्होंने दो टूक कहा कि 22 अप्रैल से 16 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई भी फोन कॉल नहीं हुई। जयशंकर ने विपक्ष पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि “मैं उन्हें कहना चाहता हूं कि वे कान खोलकर सुन लें।” अमेरिकी चेतावनी और भारत की जवाबी कार्रवाई जयशंकर ने बताया कि 9 मई को अमेरिकी उपराष्ट्रपति वेंस ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन कर संभावित पाकिस्तानी हमले की जानकारी दी थी। इस पर प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि अगर हमला हुआ तो उसका करारा जवाब दिया जाएगा। जैसा कि हुआ – भारतीय सेना की कार्रवाई में पाकिस्तानी वायु सुरक्षा प्रणाली और उनके कई एयरबेस निष्क्रिय हो गए। भारत ने नहीं किया कोई व्यापारिक सौदा या दबाव स्वीकार विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत ने किसी दबाव में आकर ऑपरेशन बंद नहीं किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से संघर्षविराम के संकेत दिए गए थे, लेकिन भारत ने साफ किया कि ऐसी कोई भी अपील सिर्फ DGMO के माध्यम से ही स्वीकार की जाएगी। भारत के निर्णय में न तो कोई विदेशी दबाव था और न ही कोई व्यापारिक सौदेबाज़ी। सिंधु जल संधि पर भी रखी दो टूक बात सिंधु जल समझौते पर जयशंकर ने कहा कि यह एक असामान्य संधि थी जिसमें भारत की बड़ी नदियों को अधिकार के बिना पाकिस्तान की ओर बहने दिया गया। उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना नहीं रोकता, तब तक यह समझौता स्थगित रहेगा। उन्होंने कहा, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” संसद के बाहर राहुल गांधी का हमला जहां एक ओर राज्यसभा में जयशंकर ने तथ्यों के साथ बात रखी, वहीं लोकसभा के बाहर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला। राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री ट्रंप के झूठ पर चुप हैं और अगर वे कुछ बोलते हैं, तो ट्रंप सार्वजनिक रूप से सच सामने ला देंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाए। गिरिराज सिंह ने किया राहुल गांधी पर पलटवार केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राहुल गांधी के बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘महादेव’ भारत के शौर्य और आत्मसम्मान के प्रतीक हैं। उन्होंने राहुल पर तंज कसते हुए कहा कि “ये ऑपरेशन कोई मजे लेने के लिए नहीं थे।” उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह देश की सेना के पराक्रम का अपमान कर रही है।

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भारत-पाक सीजफायर पर डोनाल्ड ट्रम्प का नया बयान, कहा- न्यूक्लियर वॉर मैंने रुकवाई, लेकिन क्रेडिट नहीं मिला

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर अपने बदलते बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को शांत करने में उनकी “बड़ी भूमिका” रही है। ट्रम्प ने कहा कि दोनों देश उस वक्त परमाणु युद्ध के बेहद करीब पहुंच गए थे, लेकिन उनके प्रयासों से हालात काबू में आए। फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में ट्रम्प ने कहा—”हालात बहुत गंभीर हो गए थे। अगला कदम क्या होता, आप जानते हैं… ‘N वर्ड’ यानी न्यूक्लियर वॉर।” ट्रम्प ने इसे अपनी विदेश नीति की सबसे बड़ी सफलताओं में गिनाया, हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें इसका उचित क्रेडिट नहीं मिला। शांति के बदले ट्रेड का प्रस्ताव पूर्व राष्ट्रपति ने बताया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को शांतिपूर्ण समाधान के बदले आपसी व्यापार को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था। “अब मैं बिजनेस का इस्तेमाल हिसाब चुकता करने और शांति स्थापित करने के लिए कर रहा हूं,” ट्रम्प ने कहा। संघर्षविराम से संतुष्ट ट्रम्प ट्रम्प ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम समझौते की सराहना करते हुए कहा—”मुझे उम्मीद है कि यह समझौता जारी रहेगा। दोनों देशों के बीच जो तनाव था, वह बहुत खतरनाक था।” सीजफायर पर ट्रम्प के पांच बयान 10 मई – “जंग रोकने का दावा” “भारत और पाकिस्तान सीजफायर के लिए राजी हो गए हैं। मैं उन्हें समझदारी से भरा फैसला लेने पर बधाई देता हूं।” 11 मई – “कश्मीर मुद्दे पर हल निकालने की कोशिश करूंगा” “भारत और पाकिस्तान की मजबूत लीडरशिप ने हिम्मत और समझदारी दिखाई। यह तनाव लाखों जानें ले सकता था।” 12 मई – “मैंने परमाणु जंग रोकी” “सीजफायर में अमेरिका की भूमिका थी। मुझे यकीन है यह स्थायी होगा।” 13 मई – “बिजनेस के जरिए सीजफायर” “सीजफायर के लिए मैंने व्यापार को साधन बनाया। मैं विभाजन नहीं, एकता चाहता हूं।” 15 मई – “सीजफायर नहीं कराया, मदद की” “मैंने सीधे मध्यस्थता नहीं की, लेकिन मैंने ज़रूर मदद की।”  

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Donald Trump on India-Pakistan Ceasefire: ट्रंप ने फिर लिया श्रेय, कहा- “कश्मीर मुद्दे का हल निकालने के लिए भारत-पाकिस्तान के साथ काम करूंगा”

Donald Trump on India-Pakistan Ceasefire: भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भरे हालात के बीच शनिवार को घोषित संघर्षविराम (Ceasefire) कुछ ही घंटों में टूट गया। सीमापार से हुई फायरिंग और ड्रोन हमलों ने एक बार फिर से पाकिस्तान की नीयत को उजागर कर दिया। इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संघर्षविराम का श्रेय खुद को देते हुए कहा कि वे भारत-पाकिस्तान के साथ मिलकर कश्मीर मुद्दे का स्थायी समाधान निकालने की दिशा में काम करेंगे। ट्रंप का दावा: अमेरिका ने कराया Ceasefire डोनाल्ड ट्रंप ने सबसे पहले संघर्षविराम की सूचना ट्रुथ सोशल पर साझा करते हुए लिखा: “भारत और पाकिस्तान का नेतृत्व इस बात को समझ गया है कि समय आ गया है कि इस संघर्ष को रोका जाए, जिससे लाखों बेगुनाहों की जान जा सकती थी। मुझे गर्व है कि अमेरिका ने इस ऐतिहासिक फैसले में मदद की।” उन्होंने आगे कहा कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान के साथ व्यापार को भी आगे बढ़ाएगा और दोनों देशों के साथ मिलकर हजार साल पुराने कश्मीर मुद्दे का समाधान तलाशने का प्रयास करेगा। भारत का रुख स्पष्ट: बिना मध्यस्थता हुआ समझौता हालांकि भारत ने साफ किया है कि यह समझौता द्विपक्षीय स्तर पर हुआ है, इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि पाकिस्तान को अब जिम्मेदारी से पेश आना चाहिए और संघर्षविराम की शर्तों का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। संघर्षविराम के तुरंत बाद फिर हमला दिल्ली में सीजफायर पर सहमति की घोषणा के कुछ मिनट बाद ही पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के आरएसपुरा, सांबा, ललियान और रामगढ़ क्षेत्रों में फायरिंग और ड्रोन हमले शुरू कर दिए।इस हमले में बीएसएफ के उपनिरीक्षक मोहम्मद इम्तियाज शहीद हो गए और 7 जवान घायल हो गए। 15 शहरों में ब्लैकआउट, सेना को सख्त कार्रवाई की छूट रातभर हुए हमलों के चलते पंजाब, राजस्थान और गुजरात के करीब 15 शहरों में ब्लैकआउट करना पड़ा। केंद्र सरकार ने इसे सहमति का उल्लंघन बताते हुए सेना को कड़ी जवाबी कार्रवाई की छूट दे दी है। विदेश सचिव का कड़ा बयान विदेश सचिव ने कहा: “पाकिस्तान को समझना चाहिए कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति बिल्कुल स्पष्ट है और ऐसी किसी भी हरकत का जवाब कड़ा और निर्णायक होगा।” 12 मई को फिर होगी बातचीत भारतीय और पाकिस्तानी सेना के डीजीएमओ के बीच फोन पर हुई बातचीत में सहमति बनी है कि 12 मई को दोपहर 12 बजे एक बार फिर बातचीत होगी। भारत ने साफ किया है कि आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं होगा और सिंधु जल संधि निलंबित ही रहेगी। संघर्षविराम की इस असफलता और ट्रंप की भूमिका पर अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें टिक गई हैं। क्या अमेरिका की मध्यस्थता में शांति स्थापित हो पाएगी या फिर पाकिस्तान की दोहरी चालबाज़ी एक और बड़े टकराव की ओर ले जाएगी — ये सवाल अब और गंभीर हो चले हैं।

Shashi Tharoor
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Shashi Tharoor on India-Pakistan ceasefire: “1971 के हालात, 2025 के हालात नहीं” – भारत-पाक सीजफायर पर बोले शशि थरूर

नई दिल्ली। Shashi Tharoor on India-Pakistan ceasefire: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष विराम पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वर्तमान परिस्थितियों की तुलना 1971 के युद्ध से करना सही नहीं है। उनका कहना है कि आज के हालात पूरी तरह अलग हैं और भारत ने जो संदेश देना था, वह दे दिया गया है। भारत और पाकिस्तान के बीच बीते दिनों हुए सैन्य तनाव के बाद शनिवार को सीजफायर पर सहमति बनी। भारत ने पाकिस्तानी एयरबेस पर मिसाइल हमले कर उसे बड़ा नुकसान पहुंचाया, वहीं पाकिस्तान की ओर से हुए मिसाइल और ड्रोन हमलों को भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया। इसके बाद पाकिस्तान ने संघर्ष विराम की पहल की। शशि थरूर का बयान कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, “हम एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गए थे जहां हालात बेकाबू हो सकते थे। शांति जरूरी थी। हमें आतंकवादियों को सख्त संदेश देना था और वह संदेश दे दिया गया है। अब सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पहलगाम हमले में शामिल दोषियों की पहचान कर कार्रवाई करे।” उन्होंने यह भी कहा कि, “1971 की परिस्थितियां और 2025 की स्थिति में बड़ा फर्क है। यह ऐसा युद्ध नहीं था जिसे भारत जारी रखना चाहता था, बल्कि यह एक सीमित कार्रवाई थी जिसका उद्देश्य आतंक के खिलाफ कड़ा संदेश देना था।” “1971 और 2025 की तुलना बेमानी” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इंदिरा गांधी की नेतृत्व शैली की तुलना पर शशि थरूर ने कहा, “1971 एक ऐतिहासिक विजय थी, जिसमें इंदिरा गांधी ने उपमहाद्वीप का नक्शा बदल दिया। बांग्लादेश की आज़ादी एक नैतिक और स्पष्ट उद्देश्य था। लेकिन आज के हालात अलग हैं। सिर्फ गोले दागते रहना कोई रणनीतिक उद्देश्य नहीं हो सकता।” शशि थरूर के अनुसार, भारत ने सीमित कार्रवाई कर वह संदेश दिया है जो देना जरूरी था। अब जरूरत है कि सरकार शांति बहाल रखे और आतंकवाद के खिलाफ अपने मिशन को आगे बढ़ाए।

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