सुप्रीम कोर्ट का 'न्याय के हित' में एक अभूतपूर्व निर्णय,
नई दिल्ली 23 मई : सुप्रीम कोर्ट ने आज ‘न्याय के हित’ में एक अभूतपूर्व निर्णय लेते हुए अपने ही फैसले को बदल डाला। एक ऐसा फैसला जिसमें स्वयं सुप्रीम कोर्ट को पॉक्सो (POCSO) के केस में एक व्यक्ति को सजा से राहत दे दी। राहत देने की वजह स्वयं वह लड़की है जिसने 14 साल की उम्र में ही 25 साल के युवक से शादी की थी। बता दें कि जिसे कोर्ट ने राहत दी है उसे पॉक्सों में दोषी ठहराया गया था जबकि पीड़िता ने खुद इस घटना को कभी ‘अपराध’ नहीं माना। शुक्रवार को दिए फैसले में जस्टिस अभय एस ओका ने स्वीकार किया कि जिस लड़की को कानून पीड़िता मान रहा है, उस लड़की ने कभी खुद को पीड़िता ही नहीं माना, लड़की ने आरोपी युवक से शादी की थी इस शादी से उनका एक बच्चा भी है।
लड़की ने अपनी मर्जी से की थी शादी
मामला है 2012 का जब एक 14 साल की लड़की ने अपनी मर्जी से 25 साल के युवक साथ कर ली थी लेकिन लड़की की मां इस शादी से खुश नहीं थी उसने युवक पर अपहरण और बलात्कार का मुकदमा दर्ज करा दिया। 2022 में इस मामले में आरोपी युवक को 20 साल की सजा हो गई थी लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़िता को सबसे ज्यादा चोट खुद कानून, समाज और अपने परिवार से मिली।
विशेष शक्ति का प्रयोग
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्ति का प्रयोग कर आरोपी को सजा से राहत दे दी। कोर्ट ने कहा कि जब घटना घटित हुई तब लड़की को स्वतंत्र निर्णय का कोई अवसर नहीं मिला क्योंकि उसे परिवार, समाज और कानून ने पहले ही दोषी ठहरा दिया था।
यौन उत्पीड़न के मामले में एक फैसला
18 अक्टूबर, 2023 को कलकत्ता हाई कोर्ट ने नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में एक फैसला दिया था। जिसमें नाबालिग लड़की के यौन शोषण के आरोपी लड़के को बरी कर दिया था। परंतु इस फैसले के साथ जजों ने कुछ नसीहत भी दे डाली थी जिस पर काफी विवाद हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर स्वतः संज्ञान लिया था
विवाद के वाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर स्वतः संज्ञान लेकर In Re: Right to Privacy of Adolescent का नाम देकर सुनवाई की और 20 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को ही पलट दिया । फैसले में हाई कोर्ट की तरफ से की गई टिप्पणियों को सुप्रीम कोर्ट ने अवांछित माना और आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराए जाने को सही कहा था।
आरोपी को जेल में रखना न्याय के हित में नहीं होगा
सुप्रीम कोर्ट ने सज़ा पर बाद में फैसला देने की बात कही थी। इसे लेकर एक कमिटी का गठन कर रिपोर्ट मांगी थी। अब कमिटी की रिपोर्ट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि लड़की आरोपी से शादी कर चुकी है. वह अपने पति से प्यार करती है. अपने छोटे से परिवार को बचाना चाहती है. इस मामले में दोषी को जेल में रखना न्याय के हित में नहीं होगा।
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