Supreme Court ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसला दिया। फैसले में कहा कि एडिशनल जजों सहित सभी हाई कोर्ट के न्यायाधीश पूरी पेंशन और रिटायरमेंट बेनेफिट्स के हकदार होंगे उन्होंने कहा कि नियुक्ति के समय या पदनाम के आधार पर जजों के बीच भेदभाव समानता के अधिकार का उल्लंघन है। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह फैसला सुनाया । इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी में जिला न्यायालय और उच्च न्यायालय में सर्विस पीरियड को ध्यान में रखते हुए पेंशन के पुनर्निर्धारण सहित याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था. बता दें कि यह आरोप लगाया गया था कि हाई कोर्ट के जजों को पेंशन के भुगतान में कई आधारों पर असमानता है, जिसमें यह भी शामिल है कि रिटायरमेंट के समय कोई जज परमानेंट था या एडिशनल।
‘समानता के अधिकार का उल्लंघन’
सोमवार को चीफ जस्टिस ने पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि फुल पेंशन और रिटायरमेंट बेनेफिट्स से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा. पीठ ने कहा कि सभी को फुल पेंशन का भुगतान किया जाएगा, चाहे वे कब नियुक्त हुए हों और चाहे वे अतिरिक्त जज के रूप में रिटायर हुए हों या परमानेंट जज के रूप में.
‘सभी जज फुल पेंशन के हकदार’
पीठ ने कहा कि नियुक्ति के समय या पदनाम के आधार पर जजों के बीच भेदभाव करना समानता के अधिकार का उल्लंघन है. पीठ ने कहा, “हम मानते हैं कि रिटायरमेंट के बाद टर्मिनल लाभों के लिए (हाई कोर्ट) जजों के बीच कोई भी भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा. इस प्रकार हम सभी हाई कोर्ट के जजों को, चाहे वे किसी भी समय पद पर आए हों, फुल पेंशन का हकदार मानते हैं.”
जजों के परिवार भी समान बेनेफिट्स के हकदार
पीठ ने कहा कि मृतक अतिरिक्त हाई कोर्ट के जजों के परिवार भी परमानेंट जजों के परिवारों के समान पेंशन और रिटायरमेंट बेनेफिट्स के हकदार हैं. पीठ ने कहा कि उसने संविधान के अनुच्छेद 200 की जांच की है जो रिटायर हाई कोर्ट के जजों को देय पेंशन से संबंधित है। बैंच ने यह भी स्पष्ट किया कि बार से पदोन्नत जजों और जिला न्यायपालिका से आए जजों के बीच कोई अंतर नहीं होगा. पीठ ने कहा कि नई पेंशन योजना के तहत आने वाले लोगों को भी समान पेंशन मिलेगी. कोर्ट ने कहा, “हम यह भी मानते हैं कि अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में रिटायर हाई कोर्ट के न्यायाधीशों को पूरी पेंशन मिले और न्यायाधीशों और अतिरिक्त न्यायाधीशों के बीच
कोई भी अंतर करना शर्त के साथ अन्याय होगा.”
पीठ ने कहा, “संघ (भारत) एडिशनल जजों सहित हाई कोर्ट के जजों को हर साल 13 लाख 50 हजार रुपये की पूरी पेंशन देगा.”
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