नई दिल्ली: ओडिशा के संबलपुर के रहने वाले सौरभ खंडेलवाल ने साबित कर दिया कि जुनून और आत्मविश्वास के दम पर कोई भी सपना हकीकत बन सकता है। होटल मैनेजमेंट में डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने ₹35 लाख सालाना की नौकरी को ठुकराकर एक स्ट्रीट फूड — दही-बड़ा आलू दम — को ग्लोबल ब्रांड बनाने की ठानी। आज उनका ब्रांड ‘दहीबड़ा एक्सप्रेस’ ₹1.8 करोड़ सालाना टर्नओवर का आंकड़ा पार कर चुका है।
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शुरुआत मुश्किल थी, जिम्मेदारियां भी जल्द आ गईं
सौरभ ने 2019 में भुवनेश्वर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट से ग्रेजुएशन किया। लेकिन पिता के निधन के बाद घर की जिम्मेदारी जल्दी आ गई थी। पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद उन्होंने सर्विस सेक्टर में नौकरी शुरू की, ताकि परिवार की मदद हो सके।
छात्र जीवन में उन्होंने जागृति यात्रा जैसे प्लेटफॉर्म से उद्यमियों से सीखने का मौका पाया। हालांकि, पहली बार जब उन्होंने खाने-पीने का बिजनेस शुरू किया, तो कोरोना महामारी और एक चक्रवात की वजह से वह प्रयास असफल हो गया। इसके बाद वे दिल्ली में एक बड़ी कंपनी में ₹35 लाख सालाना की नौकरी करने लगे, लेकिन उनका मन अब भी कुछ अलग करने का था।
दहीबड़ा को ब्रांड बनाने का आया आइडिया
दिल्ली की आरामदायक जिंदगी छोड़कर उन्होंने ओडिशा लौटने का फैसला लिया और स्ट्रीट फूड पर रिसर्च शुरू की। उन्हें लगा कि ‘दहीबड़ा आलू दम’, जो आमतौर पर ठेलों और छोटे दुकानों पर बेचा जाता है, एक ब्रांड बनने की काबिलियत रखता है।
इस फूड आइटम की गुणवत्ता, स्वाद और स्टैंडर्ड को समझने के लिए सौरभ ने खुद स्ट्रीट वेंडर्स के साथ समय बिताया। दहीबड़ा का स्वाद और उसका बनाने का तरीका समझने के लिए उन्होंने कई विक्रेताओं के साथ खाना खाया, घर पर रुके, और इस दौरान इतना दही खाया कि निमोनिया तक हो गया। उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
दुबई से मिला पहला निवेश, फिर आई मुश्किलें
दिसंबर 2022 में दुबई यात्रा के दौरान उन्हें एक ओडिशा मूल के निवेशक से ₹30 लाख की शुरुआती फंडिंग मिली। जनवरी 2023 में उन्होंने THQ Foods & Beverages के तहत ‘दहीबड़ा एक्सप्रेस’ की शुरुआत की। लेकिन कुछ ही महीनों में कैश फ्लो की कमी और फाइनेंशियल प्लानिंग की जानकारी न होने के कारण पूरा पैसा खत्म हो गया। निवेशक ने पैसे वापस मांग लिए और सपोर्ट भी रोक दिया।
सौरभ बुरी तरह टूट चुके थे। लेकिन, तभी उनके एक दोस्त ने उन्हें फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम करने का सुझाव दिया।
फ्रेंचाइजी मॉडल ने बदल दी किस्मत
सौरभ ने फ्रेंचाइजी मॉडल पर काम शुरू किया और ग्राहकों को साफ-सुथरा, हेल्दी और एक जैसा स्वाद देने पर फोकस किया। देखते ही देखते दहीबड़ा एक्सप्रेस ने लोकप्रियता पाई और अब यह ₹1.8 करोड़ के सालाना टर्नओवर तक पहुंच चुका है। आज यह ब्रांड न केवल ओडिशा में, बल्कि देश के कई हिस्सों में अपनी पहचान बना रहा है।
सौरभ की कहानी से सीख
- जुनून अगर सच्चा हो तो रास्ते खुद बनते हैं
- बड़े ब्रांड छोटे विचारों से ही जन्म लेते हैं
- रिस्क लेना कभी-कभी ज़िंदगी का सबसे सही फैसला होता है
- लोकल चीजों को ग्लोबल पहचान दी जा सकती है


