Stock Market Crash
Stock Market Crash: अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने के फैसले के बाद वैश्विक बाजारों में जबरदस्त हलचल मच गई है। इस फैसले का सबसे अधिक असर एशियाई देशों पर पड़ा है, खासकर भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई। भारत में भी सोमवार को शेयर बाजार में बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
भारतीय शेयर बाजार को भारी झटका
सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट देखी गई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 3900 अंकों तक लुढ़क गया, जो करीब 5.22% की गिरावट थी। हालांकि, कारोबार के अंत तक यह थोड़ा संभला और 2226 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ। इसी तरह, निफ्टी भी 1100 अंकों तक गिरने के बाद 742 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ। इस गिरावट के चलते निवेशकों के करीब 20 लाख करोड़ रुपये डूब गए।
एशियाई बाजारों पर भी पड़ा असर
ट्रंप के टैरिफ के कारण चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में भी शेयर बाजार धड़ाम हो गए। शंघाई, टोक्यो और सिडनी के बाजारों में भारी बिकवाली देखी गई। बाजार विशेषज्ञों ने इस दिन को ‘ब्लैक मंडे’ करार दिया, क्योंकि कई देशों में स्टॉक मार्केट ‘ब्लडबाथ’ (खूनखराबा) की स्थिति में पहुंच गए।
ट्रंप के टैरिफ से इतनी बड़ी गिरावट क्यों?
अमेरिका का यह नया आयात शुल्क एशियाई देशों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। भारत, चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देश अपने आर्थिक विकास के लिए निर्यात पर निर्भर हैं और अमेरिका इनका सबसे बड़ा बाजार है। ट्रंप के इस फैसले के कारण अब इन देशों के उत्पादों पर अतिरिक्त टैक्स लगने से उनकी कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे निर्यात को झटका लग सकता है।
अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय के पूर्व उप मंत्री फ्रैंक लाविन का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ का सबसे अधिक असर एशियाई देशों पर ही पड़ेगा, क्योंकि यहां के उद्योग अमेरिका को बड़े पैमाने पर निर्यात करते हैं।
अमेरिका में भी मंदी की आशंका बढ़ी
ट्रंप के इस फैसले से न केवल एशियाई बाजार प्रभावित हुए हैं, बल्कि अमेरिका में भी मंदी की आशंका गहराने लगी है।
क्या भारत भी जवाबी टैरिफ लगाएगा?
भारत की नीति हमेशा बातचीत और कूटनीतिक हल निकालने की रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत ने निष्पक्ष रुख अपनाया था और इसका फायदा उठाया। इसी तरह, ट्रंप के टैरिफ पर भी भारत सीधे जवाबी कार्रवाई करने के बजाय अमेरिका के साथ बातचीत कर समझौता करने की रणनीति अपनाएगा, ताकि भारतीय उद्योगों पर प्रभाव कम से कम पड़े।
आगे क्या?
विशेषज्ञों के अनुसार, बाजार में यह अस्थिरता कुछ और दिनों तक बनी रह सकती है। निवेशकों को जल्दबाजी में फैसले लेने के बजाय बाजार के स्थिर होने का इंतजार करना चाहिए। भारत सरकार भी आर्थिक नीतियों को संतुलित करने के लिए कदम उठा सकती है, जिससे घरेलू बाजार पर इसका प्रभाव कम किया जा सके।
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