शेयर बाजार में पिछले एक हफ्ते से जारी गिरावट ने निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। बाजार में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है, और निवेशकों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। खासकर स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों पर मंदी का असर साफ देखा जा सकता है। स्मॉलकैप शेयरों में करीब 3% तक की गिरावट देखी गई है, जिससे ये मंदी की गिरफ्त में आ चुके हैं। वहीं, मिडकैप शेयर भी 2.4% तक लुढ़क चुके हैं और अब मंदी के करीब पहुंच गए हैं।
इस गिरावट की प्रमुख वजहें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली, अमेरिकी व्यापार नीति में बदलाव, कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे, और उच्च मूल्यांकन मानी जा रही हैं। इन कारणों से बाजार पूंजीकरण में करीब 78 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर मंदी की मार

शेयर बाजार का कोई भी सूचकांक या स्टॉक जब अपने हालिया सर्वोच्च स्तर से 20% या उससे अधिक गिर जाता है, तो उसे बेयर मार्केट (Bear Market) में प्रवेश कर चुका माना जाता है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए, निफ्टी स्मॉलकैप 100 अपने उच्चतम स्तर से 21.6% नीचे आ चुका है, जबकि निफ्टी मिडकैप 100 में 18.4% की गिरावट देखी गई है। यह दोनों इंडेक्स आठ महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।
बाजार की यह गिरावट निवेशकों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन चुकी है। निफ्टी 22,929 और सेंसेक्स 75,939 के स्तर पर बंद हुए, जो 27 जनवरी 2024 के बाद का सबसे निचला स्तर है। यह स्थिति उन निवेशकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है जो स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में निवेश कर चुके हैं।
शेयर बाजार में गिरावट के कारण
1. विदेशी निवेशकों की बिकवाली: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने हाल ही में 4,295 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। इस साल की शुरुआत से अब तक विदेशी निवेशकों ने लगभग 1 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए हैं। इससे बाजार पर बड़ा प्रभाव पड़ा है।
2. कमजोर तिमाही नतीजे: इस साल कंपनियों के तिमाही नतीजे बाजार की उम्मीदों से कमजोर रहे हैं। खासकर मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के खराब प्रदर्शन के कारण निवेशकों की चिंता बढ़ गई है।
3. अमेरिकी व्यापार नीति में बदलाव: अमेरिका में ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी और व्यापार नीति में बदलाव का असर भारतीय बाजार पर पड़ा है। इसके चलते विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से पैसे निकाल रहे हैं।
4. शेयरों का ऊंचा मूल्यांकन: कई शेयर पहले से ही महंगे मूल्यांकन पर ट्रेड कर रहे थे। इस कारण बाजार में गिरावट आते ही इन शेयरों में भारी बिकवाली देखने को मिली।
निवेशकों को कितना नुकसान हुआ?

बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 7 लाख करोड़ रुपये घटकर 400.2 लाख करोड़ रुपये रह गया है, जो जून 2024 के बाद सबसे कम है।
इसके अलावा, सेंसेक्स और निफ्टी में भी लगातार आठवें दिन गिरावट दर्ज की गई है, जो पिछले दो सालों में सबसे लंबा गिरावट का सिलसिला है।
अब निवेशकों को क्या करना चाहिए?
बाजार की मौजूदा स्थिति को देखते हुए निवेशकों को निम्नलिखित रणनीतियां अपनानी चाहिए:
1. घबराएं नहीं, धैर्य बनाए रखें: मंदी के दौरान घबराहट में आकर कोई भी बड़ा निवेश निर्णय न लें। बाजार में गिरावट एक सामान्य प्रक्रिया है, और लंबे समय में इसमें सुधार की संभावना रहती है।
2. फंडामेंटल रूप से मजबूत कंपनियों में निवेश करें: ऐसे स्टॉक्स चुनें जिनका बिजनेस मॉडल मजबूत हो, जिनके फंडामेंटल अच्छे हों और जिनकी बैलेंस शीट मजबूत हो।
3. SIP निवेश जारी रखें: अगर आप म्यूचुअल फंड्स में SIP कर रहे हैं, तो इसे जारी रखें। बाजार में गिरावट के दौरान SIP से आपको औसत खरीद मूल्य कम करने में मदद मिलेगी।
4. अच्छे अवसरों की तलाश करें: गिरावट के दौरान कई अच्छे स्टॉक्स सस्ते दामों पर मिल सकते हैं। ऐसे में यह एक अच्छा मौका हो सकता है लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए।
5. एक्सपर्ट की सलाह लें: यदि आप बाजार के उतार-चढ़ाव को समझने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं, तो फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह लें।

क्या बाजार जल्द संभलेगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में अभी और उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर का कहना है कि “मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन की वजह से निवेशक जोखिम लेने से बच रहे हैं।”
हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और आगामी वित्तीय सुधारों से बाजार में स्थिरता आने की संभावना है। अगले कुछ हफ्तों में यदि विदेशी निवेशक फिर से भारतीय बाजार में दिलचस्पी दिखाते हैं, तो बाजार में रिकवरी हो सकती है
शेयर बाजार की मौजूदा गिरावट निवेशकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है। स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में भारी गिरावट देखी गई है, और विदेशी निवेशकों की बिकवाली ने बाजार को और कमजोर बना दिया है। हालांकि, लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह एक अवसर भी हो सकता है, क्योंकि कई अच्छे स्टॉक्स अब आकर्षक मूल्यांकन पर मिल रहे हैं।
निवेशकों को इस समय धैर्य बनाए रखना चाहिए, मजबूत कंपनियों में निवेश करना चाहिए और बिना सोचे-समझे बिकवाली से बचना चाहिए। आने वाले महीनों में यदि वैश्विक परिस्थितियां स्थिर होती हैं, तो भारतीय बाजार में फिर से मजबूती आ सकती है।
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