🕒 Published 1 month ago (7:06 PM)
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने पश्चिम एशिया में चल रहे ईरान-इजरायल संघर्ष पर भारत सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए इसे “गंभीर कूटनीतिक गलती” और भारत की परंपरागत नैतिक प्रतिबद्धता से “भटकाव” बताया है। उन्होंने शुक्रवार को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित अपने लेख में कहा कि भारत जैसे देश को चुप नहीं रहना चाहिए, बल्कि स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए।
इजरायल के हवाई हमले को बताया ‘अवैध’
13 जून को इजरायल द्वारा ईरान के सैन्य ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों को सोनिया गांधी ने “अवैध और संप्रभुता का सीधा उल्लंघन” बताया। उन्होंने ईरान में हुई बमबारी और लक्षित हत्याओं की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ये सिर्फ वहां के नागरिकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र और दुनिया की स्थिरता के लिए भी खतरनाक हैं।
गाजा में ‘क्रूर कार्रवाई’ की निंदा
सोनिया गांधी ने गाजा में इजरायल द्वारा चल रही सैन्य कार्रवाई को “क्रूर और असंतुलित” बताया। उन्होंने लिखा कि गाजा भुखमरी की चपेट में है, अब तक 55,000 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं, और पूरा इलाका – अस्पतालों, घरों और मोहल्लों सहित – तबाह हो चुका है।
भारत की चुप्पी पर तीखा सवाल
उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से ईरान और इजरायल दोनों के साथ संबंधों में संतुलन बनाकर चला है। 1994 में कश्मीर मुद्दे पर ईरान ने भारत का खुलकर समर्थन किया था, लेकिन आज जब ईरान संकट में है, तो भारत की चुप्पी खटकती है। सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर “दो-राष्ट्र समाधान” से हटने और एकतरफा नीति अपनाने का आरोप लगाया।
ट्रंप पर भी साधा निशाना
सोनिया ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को “आक्रामक और खतरनाक” बताया। उन्होंने कहा कि ट्रंप ‘एंडलेस वॉर’ (Endless War) के खिलाफ थे, लेकिन अब वही 2003 की इराक युद्ध जैसी गलतियां दोहरा रहे हैं।
नेतन्याहू और शांति प्रक्रिया
उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू पर भी आरोप लगाए कि उन्होंने शांति के हर प्रयास को नुकसान पहुंचाया है। 1995 में प्रधानमंत्री राबिन की हत्या का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नेतन्याहू की नीतियां संघर्ष को और भड़काती हैं।
भारत को चुप्पी तोड़ने की अपील
लेख के अंत में सोनिया गांधी ने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा कि भारत को अब अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिए और सभी कूटनीतिक रास्तों से पश्चिम एशिया में शांति की दिशा में भूमिका निभानी चाहिए।
उनके बयान से कुछ घंटे पहले भारत में ईरानी उप मिशन के प्रमुख मोहम्मद जवाद होसेनी ने भी इजरायल के हमलों की आलोचना करते हुए भारत से सार्वजनिक निंदा की मांग की थी।