मुंबई। बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर हाल ही में अपने बेटे वायु के अन्नप्राशन संस्कार में शामिल हुईं। इस रस्म के दौरान परंपरागत रूप से बच्चे को पहली बार ठोस आहार और कभी-कभी शहद भी चटाया जाता है। लेकिन सोनम कपूर ने बेटे को शहद देने से मना कर दिया, और इसके पीछे एक खास वजह है जो हर पैरेंट को जाननी चाहिए।
विषयसूची
अन्नप्राशन में शहद क्यों दिया जाता है?
भारत में कई जगहों पर अन्नप्राशन या अन्नप्रासन संस्कार के समय बच्चे को थोड़ी मात्रा में शहद चटाना एक परंपरा मानी जाती है। इसे बच्चे के स्वाद का पहला अनुभव और सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन आधुनिक चिकित्सा विज्ञान इसके खिलाफ सलाह देता है।
सोनम कपूर का फैसला और वजह
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोनम कपूर ने डॉक्टरों की सलाह के आधार पर यह कदम उठाया। मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद देना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इसमें Clostridium botulinum नामक बैक्टीरिया के स्पोर्स हो सकते हैं, जो इंफैंट बोटुलिज़्म नाम की गंभीर बीमारी पैदा कर सकते हैं।
डॉक्टरों की राय
विशेषज्ञ बताते हैं कि—
-
12 महीने से कम उम्र के बच्चे का पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता।
-
शहद में मौजूद बैक्टीरिया के स्पोर्स बच्चे की आंत में टॉक्सिन बना सकते हैं।
-
इसके लक्षणों में मांसपेशियों की कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ, और सुस्ती शामिल हो सकती है।
WHO और IAP की गाइडलाइन
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) दोनों की गाइडलाइन साफ कहती है—
एक साल से कम उम्र के शिशु को शहद नहीं देना चाहिए।
निचोड़
सोनम कपूर का यह कदम न सिर्फ अपने बच्चे की सुरक्षा के लिए था, बल्कि यह पैरेंट्स को भी एक ज़रूरी मैसेज देता है—
परंपराएं निभाएं, लेकिन बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए।


