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सोनू निगम के बयान से कन्नड़ समुदाय नाराज, FIR दर्ज.. गायक ने दी सफाई

बॉलीवुड के मशहूर गायक सोनू निगम इन दिनों अपने बेंगलुरु कॉन्सर्ट को लेकर विवादों में घिर गए हैं। ईस्ट पॉइंट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान एक युवक ने बार-बार कन्नड़ गाना गाने की मांग की, जिस पर सोनू ने नाराजगी जताते हुए एक ऐसा बयान दे दिया, जिसने कन्नड़ समुदाय को आहत कर दिया। उन्होंने इस मांग को धमकी भरा बताया और पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र कर दिया, जिसे कई लोगों ने असंवेदनशील करार दिया।

इस बयान से नाराज होकर प्रो-कन्नड़ संगठनों ने इसे भाषा और संस्कृति का अपमान बताया और बेंगलुरु के अवलहल्ली पुलिस स्टेशन में सोनू निगम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद शनिवार को उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई।

क्या हुआ था कॉन्सर्ट में?
कॉन्सर्ट के दौरान जब सोनू निगम प्रस्तुति दे रहे थे, तभी एक युवक ‘कन्नड़-कन्नड़’ चिल्लाकर स्थानीय भाषा में गाने की मांग करने लगा। इस पर सोनू ने मंच से प्रतिक्रिया दी, “मेरे सबसे बेहतरीन गाने कन्नड़ में हैं और मुझे कर्नाटक से हमेशा प्यार मिला है। लेकिन जब कोई मुझसे धमकी भरे लहजे में कुछ कहता है, तो वह स्वीकार्य नहीं है। यही कारण है कि पहलगाम जैसी घटनाएं होती हैं। पहले यह देखो कि सामने कौन खड़ा है।”

कन्नड़ संगठनों का विरोध
सोनू के इस बयान को लेकर कर्नाटक रक्षण वेदिके (केआरवी) के बेंगलुरु जिला अध्यक्ष धर्मराज ए ने एफआईआर दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि गायक ने सांस्कृतिक मांग को आतंकी हमले से जोड़कर कन्नड़ भाषी लोगों को असहिष्णु और हिंसक दिखाने की कोशिश की है।

सोनू निगम ने दी सफाई
विवाद गहराने के बाद सोनू निगम ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो जारी कर सफाई दी। उन्होंने कहा, “कॉन्सर्ट में हजारों लोग मौजूद थे, जिनमें से केवल चार-पांच लोग ‘कन्नड़-कन्नड़’ चिल्ला रहे थे। उन लोगों को यह याद दिलाना जरूरी था कि आतंकवादियों को किसी की भाषा नहीं देखनी पड़ती।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका इरादा किसी भी समुदाय को ठेस पहुंचाने का नहीं था।

 

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कन्नड़ समुदाय की प्रशंसा
सोनू ने आगे कहा, “कन्नड़ लोग बहुत प्यारे हैं। मैं हर बार कर्नाटक में कन्नड़ गानों का एक सेट लेकर आता हूं। लेकिन जो लोग मंच पर चिल्लाकर माहौल बिगाड़ते हैं, उन्हें रोकना जरूरी होता है।” उन्होंने यह भी कहा कि उनका मकसद भाषा को लेकर बढ़ते आक्रामक रवैये पर रोक लगाना था, न कि किसी की संस्कृति की आलोचना करना।

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