शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा, मंगेतर की चीख गूंज उठी – “बेबी… वादा किया था न लौटोगे!”

Photo of author

By Pragati Tomer

🕒 Published 4 months ago (5:51 AM)

शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा, मंगेतर की चीख गूंज उठी – “बेबी… वादा किया था न लौटोगे!”

देश के लिए बलिदान देने वाले शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव की अंतिम विदाई ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया। शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा का नज़ारा कुछ ऐसा था जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। न रोते हुए माता-पिता की सिसकियां थमती थीं, न मंगेतर की चीखें, जिसने हाल ही में सिद्धार्थ से सगाई की थी।

सिद्धार्थ यादव: जो वादा निभाते हुए अमर हो गया

हरियाणा के रेवाड़ी जिले के भालखी माजरा गांव का वीर सपूत, 28 वर्षीय फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव, 2 अप्रैल को गुजरात के जामनगर में जगुआर फाइटर जेट क्रैश में शहीद हो गया। शहीद होने से पहले उसने अपने साथी की जान बचाई। यह बलिदान ही उसे अमर बना गया। शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा इस बात की गवाही दे रहा था कि एक वीर सिर्फ युद्ध में नहीं, हर मोर्चे पर अपना फर्ज निभाता है।

जब अंतिम बार आया घर, तब चल रही थी शादी की तैयारियां

सिद्धार्थ की 10 दिन पहले ही मंगनी हुई थी। 2 नवंबर को शादी तय थी, घर में तैयारियां ज़ोरों पर थीं। पर किसे पता था कि यह वीर अपनी शादी से पहले ही देश के लिए वीरगति को प्राप्त हो जाएगा। जब सिद्धार्थ का पार्थिव शरीर गांव लाया गया, तो पूरा गांव शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा की तस्वीर बन चुका था।

मंगेतर सानिया की चीख: “बेबी… वादा किया था न लौटोगे!”

जिस दृश्य ने सबसे ज़्यादा भावुक कर दिया, वो था मंगेतर सानिया का दर्द। सिद्धार्थ की तस्वीर को देखकर वो रोते हुए कहती रहीं, “बेबी, तू आया नहीं मुझे लेने। तूने कहा था तू आएगा। प्लीज एक बार मुझे उसकी शक्ल दिखा दो।” शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा सिर्फ मौन नहीं था, उसमें मंगेतर की टूटी आवाज़ें गूंज रही थीं, जो हर दिल को चीर रही थीं।

मां ने कहा: “मुझे गर्व है अपने बेटे पर”

शहीद की मां सुशीला यादव ने आंखों में आंसू और दिल में गर्व लिए कहा, “मुझे अपने बेटे पर गर्व है। वो देश के लिए डरा नहीं। मैं चाहती हूं हर मां अपने बेटे को सेना में भेजे। उसका नेचर ऐसा था जिसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता।” सच में, शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा एक मां के गर्व और दर्द की मिश्रित कहानी कह रहा था।

पिता का सपना अधूरा रह गया

पिता सुशील यादव की आंखें बेटे की चिता को मुखाग्नि देते समय नम थीं। उन्होंने कहा, “उसका सपना था कि वो एक दिन चीफ ऑफ एयर स्टाफ बने। हमने उसकी शादी की तारीख भी तय कर ली थी, हॉल बुकिंग भी कर दी थी। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।”

देश का गौरव, जो आखिरी सांस तक डटा रहा

सिद्धार्थ के बारे में विंग कमांडर सचिन चंद्र निकाह ने कहा, “सिद्धार्थ एक होनहार और जांबाज पायलट था। उसने अपनी जान देकर साथी की जान बचाई। यह किसी आम इंसान की नहीं, एक सच्चे फौजी की पहचान है।”

अंतिम विदाई में उमड़ा जनसैलाब

शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा तब और भी गहरा हो गया जब गांव से लेकर आसपास के इलाकों से हजारों की संख्या में लोग उन्हें अंतिम सलामी देने पहुंचे। हर किसी की आंखें नम थीं, पर सीना गर्व से चौड़ा था। एयरफोर्स की टुकड़ी ने उल्टे हथियार से फायर कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा

शहीद की बहन की पुकार: “भैया, अब कौन बुलाएगा मुझे खुशी-कुशी”

बहन खुशी बार-बार बस यही कहती रही, “भैया, अब कौन बुलाएगा मुझे खुशी-कुशी? आप तो कहते थे ना, मेरी शादी में डांस करोगे?” शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा उस बहन के दिल का दर्द था, जिसकी राखी अब सूनी रह गई।

चार पीढ़ियों की परंपरा, एक और बलिदान

सुशील यादव ने बताया कि उनकी चार पीढ़ियों ने सेना में सेवा दी है। “मैंने उसे ये सोचकर सेना में भेजा कि वह देश के लिए कुछ बड़ा करेगा। और उसने किया भी… अंतिम समय में वो इजेक्ट कर सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, क्योंकि वहां लोग थे। उसने उन्हें बचाया।”

क्यों गूंजता रहेगा शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा का यह दृश्य

क्योंकि ये सिर्फ एक अंतिम संस्कार नहीं था, ये एक वीर की अमरता की घोषणा थी। ये उस युवा की कहानी थी, जिसने अपने कर्तव्य को हर निजी खुशी से ऊपर रखा।

राष्ट्र को सलाम है ऐसे सपूत पर

आज पूरा देश शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा को महसूस कर रहा है। हर नागरिक की आंखों में आंसू हैं, लेकिन उनके बलिदान पर गर्व भी उतना ही है। सिद्धार्थ जैसे वीर हमेशा अमर रहेंगे, उनके नाम से हर युवा प्रेरणा लेगा।

निष्कर्ष

शहीद सिद्धार्थ यादव की विदाई में टूटा सन्नाटा सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है, ये उस जज़्बे का प्रतीक है जो हर फौजी में होता है। उनका बलिदान हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता और सुरक्षा की कीमत बहुत बड़ी होती है, और कोई-कोई ही उसे चुका पाता है।

सिद्धार्थ अब नहीं हैं, लेकिन उनकी कहानी, उनका नाम और उनका साहस हर दिल में हमेशा जीवित रहेगा। जय हिंद।

अधिक जानकारी और ताज़ा ख़बरों के लिए जुड़े रहें hindustanuday.com के साथ।

Leave a Comment