बिहार में शराब तस्करी का चौंकाने वाला तरीका! नेपाल कनेक्शन का खुलासा, बाकी राज्यों में क्यों नहीं लागू शराबबंदी?

By Pragati Tomer

🕒 Published 4 months ago (6:11 AM)

बिहार में शराब तस्करी का चौंकाने वाला तरीका! नेपाल कनेक्शन का खुलासा, बाकी राज्यों में क्यों नहीं लागू शराबबंदी?

बिहार में शराब तस्करी का चौंकाने वाला तरीका हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। 2016 से राज्य में लागू शराबबंदी के बावजूद शराब की तस्करी के मामलों में बढ़ोतरी ने हर किसी को चौंका दिया है। नेपाल के साथ जुड़े कनेक्शन ने इस तस्करी को और भी जटिल बना दिया है। जबकि कई अन्य राज्यों में शराबबंदी लागू नहीं हुई है, बिहार में इसे लेकर चर्चाएं और तस्करी के अलग-अलग मामले सामने आते रहते हैं।

नेपाल से है तस्करी का गहरा कनेक्शन

शराब तस्करी की अगर बात की जाए, तो बिहार और नेपाल की सीमा का कनेक्शन सबसे पहले आता है। बिहार के सात जिले नेपाल के साथ सटे हुए हैं – पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सहरसा, अररिया, और किशनगंज। इन इलाकों में तस्करी का जाल इतना फैला हुआ है कि शराबबंदी के बावजूद तस्कर रोज नई-नई तरकीबें निकालते हैं।

बिहार में शराब तस्करी का चौंकाने वाला तरीका यह है कि शराब की बोतलें तेल के टैंकर, दूध के डिब्बों, और कभी-कभी घोड़ों की पीठ पर छिपाकर लाई जाती हैं। हाल ही में जमुई जिले में एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें तेल के टैंकर से शराब बरामद की गई। यह तस्करी का अनोखा तरीका था, और इससे पता चलता है कि किस तरह तस्कर हर बार नया तरीका अपनाते हैं।

शराबबंदी का उद्देश्य और तस्करी की चुनौती

2016 में जब बिहार में शराबबंदी लागू हुई थी, तब इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं के खिलाफ हिंसा को कम करना और समाज में शराब की लत से होने वाली बर्बादी को रोकना था। शुरुआत में इसका असर दिखाई दिया, लेकिन धीरे-धीरे तस्करों ने नए तरीके से शराब की आपूर्ति करना शुरू कर दिया।

शराबबंदी के बाद बिहार में शराब तस्करी का चौंकाने वाला तरीका यह है कि तस्करी सिर्फ बिहार के अंदर ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों और नेपाल से भी हो रही है। तस्करी के इस जाल को तोड़ना सरकार और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है।

अवैध शराब का कारोबार: सरकार को बड़ा नुकसान

देश में अवैध शराब का कारोबार करोड़ों में है, और बिहार इस समस्या से अछूता नहीं है। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) की रिपोर्ट के अनुसार, देश में अवैध शराब का कारोबार करीब 24 हजार करोड़ रुपए का है। बिहार में शराब तस्करी से सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।

राज्य सरकार को शराब से होने वाले राजस्व की कमी का सामना करना पड़ता है, और यही वजह है कि कई अन्य राज्य अभी भी शराबबंदी लागू नहीं कर पाए हैं। बिहार में शराब तस्करी का चौंकाने वाला तरीका यह है कि शराब को बिना किसी रिकॉर्ड के बेचा जा रहा है, जिससे तस्करों को भारी मुनाफा होता है और सरकार को नुकसान।

बाकी राज्यों में शराबबंदी क्यों नहीं?

बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद कई सवाल उठे हैं कि आखिर क्यों अन्य राज्य इस नीति को लागू नहीं कर पाए हैं। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है राजस्व। शराब से होने वाली कमाई कई राज्यों के लिए महत्वपूर्ण होती है। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में शराब से 17,000 करोड़ रुपये का राजस्व होता है, जो राज्य की आर्थिक स्थिति को बनाए रखने में मदद करता है।

बिहार में शराब तस्करी का चौंकाने वाला तरीका

शराबबंदी लागू करना जितना नैतिक है, उतना ही इसे लागू करना आर्थिक दृष्टिकोण से चुनौतीपूर्ण है। यही कारण है कि बिहार के अलावा गुजरात, मिजोरम, और नागालैंड में ही शराबबंदी सफलतापूर्वक लागू की जा सकी है, जबकि बाकी राज्यों में अभी यह संभव नहीं हो पाया है।

तस्करी के अनोखे तरीके: कैसे होती है तस्करी?

बिहार में शराब तस्करी का चौंकाने वाला तरीका यह है कि तस्कर हर बार नई-नई तरकीबें निकालते हैं। कभी शराब को तेल के टैंकर में छिपाया जाता है, तो कभी घोड़ों की पीठ पर लादकर लाया जाता है। तस्कर दूध के डिब्बों, अंडरवियर में शराब की बोतलें छिपाकर पुलिस की नजरों से बचने की कोशिश करते हैं।

हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया जिसमें नेपाल से शराब की तस्करी की जा रही थी। तस्करों ने बॉर्डर पार करने के लिए ट्रक और तेल टैंकरों का इस्तेमाल किया था, जिससे यह साफ हो जाता है कि नेपाल से शराब की तस्करी के लिए किस तरह के जुगाड़ अपनाए जाते हैं।

क्या शराबबंदी से वास्तव में फायदा हुआ?

बिहार में शराबबंदी के बाद कई सकारात्मक बदलाव देखने को मिले हैं। लैंसेट की एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में शराब पीने के मामलों में कमी आई है। घरेलू हिंसा के मामले घटे हैं और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों में भी कमी दर्ज की गई है। शराब की लत से उबरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है और राज्य में शांति और सुरक्षा की स्थिति बेहतर हुई है।

लेकिन इसके बावजूद तस्करी की समस्या ने शराबबंदी के उद्देश्य को चुनौती दी है। बिहार में शराब तस्करी का चौंकाने वाला तरीका यह है कि शराब की तस्करी के लिए लगातार नए तरीके ईजाद किए जा रहे हैं, जिससे पुलिस और प्रशासन को भी भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार की सख्ती और तस्करों का नया जुगाड़

सरकार ने तस्करों पर सख्ती करने के लिए कई कदम उठाए हैं। राज्य में शराब की बोतलों की जब्ती के बाद उन्हें नष्ट किया जाता है। लेकिन तस्कर हर बार नए तरीके अपनाकर शराब की आपूर्ति करते रहते हैं। नेपाल से होने वाली तस्करी में कई बार बॉर्डर के पार से शराब लाई जाती है और इसके पीछे बड़ा नेटवर्क काम करता है।

हाल ही में एक और मामला सामने आया जिसमें शराब की तस्करी के लिए एक गुप्त तहखाना बनाया गया था, जहां शराब छिपाकर रखी जाती थी। तस्कर हर बार नए तरीके अपनाते हैं और सरकार को चकमा देने की कोशिश करते रहते हैं।

निष्कर्ष

बिहार में शराब तस्करी का चौंकाने वाला तरीका यह है कि तस्कर हर बार नए-नए जुगाड़ अपनाते हैं और पुलिस-प्रशासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गया है। नेपाल के साथ जुड़े कनेक्शन ने इस तस्करी को और भी गंभीर बना दिया है। शराबबंदी के बावजूद तस्करों का जाल राज्य में फैला हुआ है, और सरकार के लिए इसे नियंत्रित करना अब भी मुश्किल है।

बिहार में शराबबंदी के बाद समाज में सुधार के कई सकारात्मक पहलू देखने को मिले हैं, लेकिन तस्करी ने इस नीति की सच्चाई को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। यदि सरकार तस्करों पर सख्ती और भी बढ़ाती है और सीमा क्षेत्रों में कड़ी निगरानी रखती है, तो इस तस्करी पर काबू पाया जा सकता है।

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