🕒 Published 1 month ago (5:06 PM)
हिंदू धर्म में शिवलिंग को भगवान शिव का दिव्य प्रतीक माना जाता है। इसे छूना या उस पर अभिषेक करना न केवल आस्था का विषय है, बल्कि यह एक अत्यंत पवित्र और मर्यादित क्रिया भी मानी जाती है। लेकिन शिवलिंग के स्पर्श और पूजन से जुड़े कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना हर भक्त के लिए अनिवार्य माना गया है।
कब करें शिवलिंग का स्पर्श?
धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त में या फिर नियमित पूजन के समय शिवलिंग का अभिषेक करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। सावन के महीने, महाशिवरात्रि, और सोमवार को शिवलिंग पर जल, दूध, पंचामृत, शहद आदि चढ़ाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यह समय भगवान शिव की कृपा पाने का सबसे उत्तम अवसर माना जाता है।
कैसे करें शिवलिंग का स्पर्श?
शिवलिंग को छूने से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनना आवश्यक है। अभिषेक करते समय दाहिने हाथ से जल या अन्य पूजन सामग्री अर्पण करें और दोनों हाथ जोड़कर शिव जी को नमन करें। बेलपत्र, धतूरा, आक, गंगाजल जैसे पवित्र पदार्थ शिवलिंग पर समर्पित किए जा सकते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, केवल योनि भाग (जिसे पीठिका कहा जाता है) पर ही जल अर्पित करना उचित है, जबकि लिंग भाग को स्पर्श नहीं करना चाहिए। यह नियम धार्मिक मर्यादा और पूजन की शुद्धता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
किसे करना चाहिए शिवलिंग का स्पर्श?
- पुरुष श्रद्धालुओं को शिवलिंग का स्पर्श करने की अनुमति है।
- स्त्रियों को विशेष रूप से मासिक धर्म के दौरान शिवलिंग का स्पर्श करने से परहेज करना चाहिए।
- ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले, संयमित जीवन जीने वाले व्रती साधकों को शिवलिंग पूजन और अभिषेक के लिए अधिक उपयुक्त माना गया है।