ढाका। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की मुश्किलें गंभीर रूप लेती जा रही हैं। 2024 में छात्र आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के मामले में रविवार को बांग्लादेश के अभियोजन पक्ष ने उन पर ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ के आरोप लगाए हैं। अगर अदालत में ये आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो शेख हसीना को मौत की सजा तक दी जा सकती है।
तीन न्यायाधीशों वाले विशेष न्यायाधिकरण ने 18 फरवरी 2025 को आदेश दिया था कि शेख हसीना के खिलाफ अप्रैल तक जांच पूरी की जाए। उसी के आधार पर 12 मई को मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल, और पूर्व IGP चौधरी मामून को सह-आरोपी बनाते हुए आरोप-पत्र पेश किया।
इस हाई-प्रोफाइल मुकदमे की कार्यवाही को लेकर बांग्लादेश टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया जा रहा है, ताकि ट्रांस्पेरेंसी बनी रहे। अभियोजन पक्ष ने 81 गवाहों की सूची दी है, जिनमें कई छात्र, पीड़ित परिवार और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं।
मुख्य अभियोजक के अनुसार, शेख हसीना पर कम से कम पांच आरोप लगाए गए हैं:
जांचकर्ताओं ने वीडियो फुटेज, ऑडियो रिकॉर्डिंग, फोन कॉल, ड्रोन और हेलीकॉप्टर की मूवमेंट, और पीड़ितों के बयान बतौर सबूत प्रस्तुत किए हैं।
शेख हसीना ने इन सभी आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि यह उनकी छवि धूमिल करने की साजिश है
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