शतरंज में भारत का प्रभुत्व: विश्व स्तरीय ग्रैंडमास्टर्स की कहानी

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By Pragati Tomer

शतरंज में भारत का प्रभुत्व: विश्व स्तरीय ग्रैंडमास्टर्स की कहानी

शतरंज, जिसे “चेस” के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसा खेल है जो दिमागी कौशल और रणनीति का प्रतीक है। इस खेल में महारत हासिल करना हर खिलाड़ी का सपना होता है, और जब बात आती है विश्व स्तरीय ग्रैंडमास्टर्स की, तो भारत ने इस खेल में अपना विशेष स्थान बना लिया है। शतरंज में भारत का प्रभुत्व आज न सिर्फ भारतीय खिलाड़ियों की मेहनत और समर्पण का परिणाम है, बल्कि इस खेल में भारत की ऐतिहासिक धरोहर का भी प्रतीक है।

शतरंज में भारत का ऐतिहासिक योगदान

शतरंज का मूल भारत में ही माना जाता है, जहां इसे “चतुरंग” के नाम से जाना जाता था। यह खेल सदियों से हमारे देश की सभ्यता का हिस्सा रहा है। लेकिन आधुनिक शतरंज में भारत का योगदान केवल ऐतिहासिक नहीं है, बल्कि वर्तमान में भी भारत इस खेल में एक महाशक्ति बनकर उभरा है। विश्व स्तर पर भारतीय खिलाड़ियों ने अपने अद्भुत खेल कौशल से भारत को गर्वित किया है और शतरंज में भारत का प्रभुत्व स्थापित किया है।

विश्वनाथन आनंद: शतरंज में भारत का पहला सितारा

अगर हम बात करें शतरंज में भारत का प्रभुत्व स्थापित करने वाले खिलाड़ियों की, तो पहला नाम आता है विश्वनाथन आनंद का। आनंद ने न सिर्फ भारतीय शतरंज को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, बल्कि भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने। 1987 में उन्होंने विश्व जूनियर शतरंज चैम्पियनशिप जीतकर शतरंज की दुनिया में तहलका मचा दिया। इसके बाद उन्होंने कई विश्व चैंपियनशिप खिताब जीते और पांच बार विश्व शतरंज चैम्पियन बने।

विश्वनाथन आनंद ने अपनी तेज़ गति और शानदार रणनीतियों से शतरंज प्रेमियों का दिल जीत लिया। वह भारत के लिए शतरंज के पहले सुपरस्टार थे और उन्होंने इस खेल को भारत में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनके योगदान के कारण शतरंज में भारत का प्रभुत्व स्थापित हो गया और उनकी उपलब्धियों ने युवा पीढ़ी को प्रेरित किया।

नई पीढ़ी के भारतीय ग्रैंडमास्टर्स

विश्वनाथन आनंद के बाद भारतीय शतरंज में कई नए सितारे उभरे, जिन्होंने शतरंज में भारत का प्रभुत्व बनाए रखा है। इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं:

1. पेंटाला हरिकृष्णा:

पेंटाला हरिकृष्णा, भारतीय शतरंज के दूसरे सबसे उच्चतम रेटेड खिलाड़ी, ने शतरंज की दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने अपने करियर में कई अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं और दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल हैं।

2. विदित गुजराती:

विदित संतोष गुजराती भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर्स में से एक हैं। उन्होंने 2017 में भारतीय शतरंज की दुनिया में बड़ा नाम कमाया। उनकी खेल की शैली बहुत ही योजनाबद्ध और रचनात्मक है, जो उन्हें एक खतरनाक खिलाड़ी बनाती है। विदित ने कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और भारत के शतरंज प्रभुत्व को और मजबूत किया है।

शतरंज में भारत का प्रभुत्व

3. कोनेरू हम्पी:

भारतीय महिला शतरंज में कोनेरू हम्पी का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। 2002 में वे शतरंज में भारत की सबसे युवा महिला ग्रैंडमास्टर बनीं। उन्होंने 2019 में विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रचा। हम्पी ने अपने शानदार खेल से यह साबित कर दिया कि शतरंज में भारत का प्रभुत्व केवल पुरुष खिलाड़ियों तक सीमित नहीं है, बल्कि भारतीय महिलाएं भी इस खेल में धाक जमाए हुए हैं।

4. आर. प्रज्ञानानंद:

आर. प्रज्ञानानंद एक बेहद युवा और प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कम उम्र में ही शतरंज की दुनिया में अपनी पहचान बनाई। वह मात्र 12 साल की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने और अब तक कई प्रतिष्ठित टूर्नामेंटों में अपने कौशल का प्रदर्शन कर चुके हैं। उनके आने से शतरंज में भारत का प्रभुत्व और भी मजबूत हुआ है और वे भारत के भविष्य के शतरंज सितारों में से एक माने जाते हैं।

शतरंज में भारत की बढ़ती पकड़

पिछले कुछ वर्षों में भारत शतरंज में विश्व स्तर पर सबसे तेजी से उभरता देश बन गया है। आज भारत के पास 70 से अधिक ग्रैंडमास्टर्स हैं, जो शतरंज की वैश्विक रैंकिंग में जगह बना रहे हैं। शतरंज के विभिन्न फॉर्मैट्स में भी भारत ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, चाहे वह क्लासिकल हो, रैपिड हो या फिर ब्लिट्ज फॉर्मेट हो।

भारतीय शतरंज अकादमी और प्रशिक्षकों की भूमिका

शतरंज में भारत का प्रभुत्व बनाने में भारतीय शतरंज अकादमियों और प्रशिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। देशभर में कई शतरंज अकादमियां स्थापित की गई हैं, जो युवा प्रतिभाओं को निखारने में अहम योगदान दे रही हैं। इन अकादमियों ने विश्वनाथन आनंद जैसे खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया है और आज भी वे नए खिलाड़ियों को तैयार कर रही हैं।

इसके अलावा, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शतरंज की लोकप्रियता ने भी भारत में इस खेल को और बढ़ावा दिया है। ऑनलाइन शतरंज टूर्नामेंट और ट्रेनिंग सेशन्स ने शतरंज खिलाड़ियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका दिया है। इससे भारत के युवा खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से अपनी पहचान बना रहे हैं।

शतरंज और भारतीय समाज

भारत में शतरंज का महत्व सिर्फ खेल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह खेल भारतीय समाज के एक अभिन्न अंग के रूप में उभरा है। भारतीय परिवारों में शतरंज को मानसिक विकास और समस्या-समाधान कौशल को बढ़ाने के एक उपकरण के रूप में देखा जाता है। स्कूलों में भी शतरंज को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे नए युवा खिलाड़ी उभर रहे हैं और शतरंज में भारत का प्रभुत्व लगातार बढ़ रहा है।

शतरंज की डिजिटल क्रांति और भारत

आज के समय में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर शतरंज की बढ़ती लोकप्रियता ने इसे और अधिक लोगों तक पहुंचा दिया है। भारत के लाखों लोग ऑनलाइन शतरंज खेलते हैं और प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। इससे शतरंज खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक मुकाबले करने का मौका मिल रहा है और नए ग्रैंडमास्टर्स उभर रहे हैं। डिजिटल माध्यमों के माध्यम से भारत ने शतरंज की दुनिया में एक नया मोड़ लिया है और यह साबित कर दिया है कि शतरंज में भारत का प्रभुत्व और अधिक सशक्त हो रहा है।

भविष्य में भारत का शतरंज में प्रभुत्व

भारत में शतरंज का भविष्य बेहद उज्ज्वल है। युवा खिलाड़ियों की नई पीढ़ी, अनुभवी ग्रैंडमास्टर्स और शतरंज अकादमियों की मेहनत के चलते भारत आने वाले समय में और भी बड़े कीर्तिमान स्थापित करेगा। भारतीय शतरंज खिलाड़ियों का न सिर्फ एशिया में, बल्कि पूरी दुनिया में सम्मान किया जाता है। इस खेल में भारत की स्थिति को और मजबूत करने के लिए जरूरी है कि सरकार, खेल संगठनों और समाज का समर्थन लगातार बना रहे।

निष्कर्ष

शतरंज में भारत का प्रभुत्व एक ऐसी कहानी है जो न सिर्फ भारत के महान खिलाड़ियों की मेहनत और संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि यह इस खेल की विरासत को भी सामने लाती है। भारतीय शतरंज खिलाड़ी, चाहे वह विश्वनाथन आनंद हों या नई पीढ़ी के खिलाड़ी, सभी ने इस खेल में अद्वितीय योगदान दिया है। भारत की इस महान धरोहर को और आगे बढ़ाने के लिए आने वाली पीढ़ियां भी इस खेल में अपना योगदान देंगी और भारत का नाम रोशन करेंगी।

भारत ने शतरंज में जो मुकाम हासिल किया है, वह केवल शुरुआत है। आने वाले समय में भारतीय खिलाड़ी शतरंज की दुनिया में और भी बड़े कारनामे करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि शतरंज में भारत का प्रभुत्व हमेशा बरकरार रहे।

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