🕒 Published 5 days ago (9:42 AM)
Shashi Tharoor in Colombia: भारत सरकार की ओर से भेजे गए प्रतिनिधिमंडल की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद कोलंबिया सरकार को अपना पाकिस्तान के समर्थन वाला बयान वापस लेना पड़ा है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल इन दिनों कोलंबिया के दौरे पर है। भारत की ओर से यह दौरा “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद की रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग करना।
पाकिस्तान को लेकर कोलंबिया का बयान बना विवाद की वजह
कोलंबिया सरकार ने हाल ही में एक बयान में पाकिस्तान में मारे गए आतंकियों को लेकर संवेदना जाहिर की थी। लेकिन यह बात भारत को खटक गई, खासकर तब जब भारत ने हाल ही में एक बड़े सैन्य ऑपरेशन में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। कोलंबिया के बयान में आतंकवाद पीड़ितों के प्रति कोई संवेदना नहीं दिखी, बल्कि भारत के जवाबी हमले के बाद पाकिस्तान में हुई जानमाल की हानि पर दुख जताया गया। इस पर शशि थरूर ने स्पष्ट नाराजगी जताते हुए कहा,
“हम कोलंबिया की प्रतिक्रिया से निराश हैं। आतंकवाद के पीड़ितों के लिए सहानुभूति दिखाने की जगह, उन्होंने पाकिस्तान के नुकसान पर अफसोस जताया।”
थरूर के सख्त रुख के बाद कोलंबिया ने बयान वापस लिया
शशि थरूर की इस नाराजगी के बाद कोलंबिया सरकार ने अपने बयान को वापस ले लिया। थरूर ने कहा कि उन्होंने कोलंबिया के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव और सीनेट के दूसरे आयोग के सदस्यों के साथ बैठक की और इस मुद्दे पर अपनी चिंता स्पष्ट की। उन्होंने कहा,
“हम गांधी की भूमि से आते हैं, जहां से हमें अहिंसा और शांति का मार्ग मिला। लेकिन हम यह भी जानते हैं कि अपनी स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा कैसे की जाती है। हम भय में नहीं, बल्कि साहस और आत्मगौरव के साथ खड़े रहेंगे।”
इसके साथ ही शशि थरूर ने जानकारी दी कि कोलंबिया के विदेश मंत्रालय से हुई बैठक में वहां के उप मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और भारत की चिंताओं को गंभीरता से लेते हुए बयान को वापस लेने की जानकारी दी।
प्रतिनिधिमंडल भेजने की रणनीति क्या है?
भारत सरकार ने “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद एक सघन कूटनीतिक मुहिम की शुरुआत की है, जिसके तहत सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को दुनियाभर के देशों में भेजा जा रहा है। मकसद साफ है—पाकिस्तान की दोहरी नीति और आतंकवाद को लेकर उसके रवैये को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उजागर करना।
इस अभियान का एक अहम पहलू यह भी है कि पाकिस्तान को फिर से FATF (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) की ग्रे लिस्ट में डाला जाए, ताकि उसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से फंडिंग ना मिल सके। भारत चाहता है कि जो भी फंड मिले, वह संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में हो ताकि आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगे।
भारत का सख्त संदेश
भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि अब पाकिस्तान से बातचीत सिर्फ दो मुद्दों पर होगी—पीओके और आतंकवाद। भारतीय सेना द्वारा किए गए जवाबी हमलों में पाकिस्तान के कई एयरबेस को गंभीर नुकसान पहुंचा है। इसके बाद पाकिस्तान को मजबूरी में सीजफायर का प्रस्ताव देना पड़ा, जिसे भारत ने शर्तों के साथ मंजूर किया है।
शशि थरूर की कोलंबिया यात्रा इस रणनीति का अहम हिस्सा बन गई है, जहां भारत की कूटनीतिक सक्रियता और स्पष्ट रुख ने कोलंबिया को भी अपने रुख पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया।