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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद बिहार पर — कह रहे हैं: “वोट काटने आ रहा हूँ”

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद आज से बिहार के चुनावी दौरे पर हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करेंगे, बल्कि गोरक्षा के मुद्दे पर निर्दलीय प्रत्याशियों को प्रचार-प्रसार और वोट देने की अपील करेंगे। उनका कहना है कि वोटिंग व्यवस्था में जो लोग गाय रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध हैं, उन्हें उन निर्दलीय उम्मीदवारों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

गोरक्षा के नाम पर निर्दलीय उम्मीदवारों को सपोर्ट

शंकराचार्य ने कहा कि वे हर जिले में जाकर उन मतदाताओं से मिलेंगे जो गोरक्षा के प्रति कृतसंकल्प हैं। उनका संदेश है कि उन लोगों को उन निर्दलीय प्रत्याशियों को वोट देना चाहिए जो गोहत्या के विरोध में खुले रूप से खड़े हैं या गाय को राष्ट्रीय माता का दर्जा दिलाने के लिए संकल्पित हैं। उन्होंने दोहराया कि किसी भी राजनीतिक दल ने स्पष्ट रूप से गोहत्या के खिलाफ खड़े होने का समर्थन नहीं किया, इसलिए वे दलों से अलग रहकर इस मकसद के लिए अभियान चलाएंगे।

बीजेपी समेत सभी दलों के वोट काटने का दावा

जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके इस अभियान से भाजपा का वोट कट सकता है, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी एक पार्टी का नाम नहीं लिया, परंतु वे खुलकर मानते हैं कि उनका अभियान भाजपा, कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू — सभी के वोटों पर असर डालेगा। शंकराचार्य ने कहा कि जो वास्तविकतावादी रूप से गौ-रक्षा के नाम पर कौन क्या करता है, यह जनता समझती है और इसलिए जिन लोगों की नीयत सही है वे अपने वोट का प्रयोग गठित इच्छानुसार करें।

राजतंत्र बनाम लोकतंत्र — शंकराचार्य का तर्क

नेपाल में राजतंत्र के समय की तुलना करते हुए शंकराचार्य ने कहा कि तब खुशहाली थी, जबकि लोकतंत्र और सेक्युलरिज्म आने के बाद बहुत कुछ बदल गया। उन्होंने तर्क दिया कि 550 से अधिक रियासतों के खत्म होने के बाद लोकतंत्र ने योजनाओं और संसाधनों को खोखा कर दिया है और भ्रष्टाचार बढ़ा है। उनके अनुसार, राजतंत्र में धर्म और राज्य का रिश्ता बेहतर तरीके से सामाजिक संतुलन बनाये रखता था।

मंदिर सम्पत्ति और आर्थिक तर्क

शंकराचार्य ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर पद्मनाभन मंदिर की सोने-चीजों को सही रूप में इस्तेमाल किया जाए तो देश का कर्जा चुक सकता है। उनका कहना था कि पारंपरिक राजपरिवार देव सम्पत्ति को धर्मानुरूप सँभालते थे, जबकि आधुनिक व्यवस्थाओं में धार्मिक भावनाओं की उपेक्षा से भ्रष्टाचार बढ़ा है।

पीएम मोदी के गयाजी दौरे पर टिप्पणी

प्रधानमंत्री मोदी के गयाजी दौरे पर शंकराचार्य ने कहा कि यदि मोदी विधि-व्यवहार के अनुसार श्राद्ध-अर्चन कराते हैं तो यह स्वागत योग्य होगा; अन्यथा समय बताएगा कि यह धार्मिक अनुष्ठान है या राजनीतिक कार्यक्रम। उन्होंने सीधे तौर पर आलोचना से बचते हुए घटनाक्रम को समय पर छोड़कर देखने की बात कही।

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