Military officers from 32 countries in India, भारत 14 से 16 अक्टूबर 2025 तक संयुक्त राष्ट्र में सैन्य टुकड़ी योगदान देने वाले देशों (UNTCC) के सेना प्रमुखों की कॉन्क्लेव की मेजबानी करेगा। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में 32 देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल होंगे, जो दुनिया भर में चल रहे संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों (UN Peacekeeping Missions) में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
विषयसूची
नई तकनीक और प्रशिक्षण के आदान-प्रदान पर गहन चर्चा
सभी देशों के प्रतिनिधिमंडल 13 अक्टूबर तक नई दिल्ली पहुंच जाएंगे। यह मंच शांति अभियानों की चुनौतियों, बदलते वैश्विक खतरों, सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय, निर्णय प्रक्रिया में साझेदारी और नई तकनीक व प्रशिक्षण के आदान-प्रदान पर गहन चर्चा का अवसर प्रदान करेगा ।
भारत की प्राचीन अवधारणा “वसुधैव कुटुंबकम्”
भारत, जो अब तक संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे बड़ा योगदानकर्ता देश है, इस कॉन्क्लेव के माध्यम से अपने अनुभव साझा करेगा और भविष्य की रणनीतियों पर विचार-विमर्श करेगा। इस आयोजन का संदेश भारत की प्राचीन अवधारणा “वसुधैव कुटुंबकम्” — यानी पूरी दुनिया एक परिवार है — को भी प्रतिबिंबित करता है।
सेना प्रमुख विचार और अनुभव साझा करेंगे, Military officers from 32 countries in India
इस कॉन्क्लेव का उद्घाटन और मुख्य संबोधन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के उप-सचिव ज्यां पियरे लैक्रोइक्स द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा, सभी देशों के सेना प्रमुख अपने विचार और अनुभव साझा करेंगे। कार्यक्रम में रक्षा प्रदर्शनी, प्रशिक्षण सत्र, द्विपक्षीय वार्ताएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
शामिल देश:
अल्जीरिया, अर्मेनिया, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्राजील, बुंडी, कंबोडिया, मिस्र, इथियोपिया, फिजी, फ्रांस, घाना, इटली, कजाकिस्तान, केन्या, किर्गिज़स्तान, मेडागास्कर, मलेशिया, मंगोलिया, मोरोक्को, नेपाल, नाइजीरिया, पोलैंड, रवांडा, श्रीलंका, सेनेगल, तंज़ानिया, थाईलैंड, युगांडा, उरुग्वे और वियतनाम।
भारत वैश्विक शांति, सुरक्षा और सहयोग को लेकर गंभीर
इस कॉन्क्लेव के जरिए भारत ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि वह वैश्विक शांति, सुरक्षा और सहयोग को लेकर न सिर्फ गंभीर है बल्कि नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए भी प्रतिबद्ध है। 32 देशों के सेना प्रमुखों का यह साझा मंच भविष्य में शांति अभियानों को और अधिक प्रभावी और समन्वित बनाने की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा।
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